बुधवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रवासी कामगारों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने का आह्वान करते हुए कहा कि वे लॉकडाउन की स्थिति में सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक संकट से गुजर रहे हैं. बता दें कि ऐसे प्रवासी श्रमिकों के सामने आने वाली चिंताओं का संबंध भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य देखभाल, संक्रमित होने का डर या संक्रमण फैलने, मजदूरी का नुकसान, परिवार के बारे में चिंता और भय से संबंधित है. ग्वालियर हुआ 48 घंटो के लिए टोटल शटडाउन इस मामले को लेकर मंत्रालय ने एक दस्तावेज में कहा, 'कभी-कभी, उन्हें स्थानीय समुदाय के उत्पीड़न और नकारात्मक प्रतिक्रियाओं का भी सामना करना पड़ता है. यह सब मजबूत सामाजिक सुरक्षा की मांग को मजबूत करता है.' आगे कहा गया कि प्रवासी श्रमिकों को अस्थायी आश्रयों में कुछ दिन बिताने के लिए ले जाया जाता है, जिनमें आइसोलेशन वार्ड भी हैं. श्रमिकों के दिमाग विभिन्न समस्याओं से उपजी चिंताओं और आशंकाओं से भरे हुए हैं और उनकी आवश्यकता होती है मनो-सामाजिक सहयोग. लोगों ने कोरोना वारियर्स को फूलों से महकाया, यहाँ देखे वायरल वीडियो अपने बयान में आगे उन्होंने कहा कि इस तरह के समर्थन के तहत मंत्रालय ने कुछ उपायों को सूचीबद्ध किया जिसमें प्रत्येक प्रवासी कार्यकर्ता का सम्मान, सहानुभूति और करुणा के साथ व्यवहार करना शामिल है. हर व्यक्ति को यह आश्वस्त करना की उनका परिवार ठीक है और उन्हें हर चीज मुहैया कराई जा रही है. उन्हें यह बताना कि ज्यादा दिन तक यह स्थिति नहीं रहेगी और सब ठीक होगा. जल्द ही सामान्य जीवन फिर से शुरू होगा. सुनसान पड़े शहरों में इस तरह खुद को टेंशन से दूर रख रहे हैं पुलिसकर्मी रोहित के बाद अब इन खिलाड़ियों ने ठाना कोरोना पीड़ितों की मदद का संकल्प इस शहर में रोजाना गरीबों और कोरोना वारियर्स को वितरित किया जा रहा है भोजन