लॉकडाउन और महामारी के प्रकोप के बीच निजी अस्पताल किसी भी मरीज को इलाज के पहले कोरोना की जांच के लिए मजबूर नहीं सकते हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय निजी अस्पतालों को कोरोना से निपटने के लिए जारी गाइडलाइंस का पालन करते हुए सारी स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रूप से चलाने को कहा है. यहां तक कि इलाज के दौरान कोरोना के मरीज निकलने की स्थिति में भी अस्पताल को संक्रमण मुक्त करने के बाद फिर से चालू किया जा सकता है और उन्हें बंद रखने की जरूरत नहीं है. कोरोना संकट में आई खुश खबरी, तेजी से ठीक हो रहे लोग इस मामले को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि कई अस्पताल मरीजों को इलाज से पहले कोरोना की जांच के लिए दवाब बना रहे हैं. कई निजी अस्पताल तो बंद कर दिये गए हैं. कई अस्पताल कीमोथरेपी, डायलिसिस, बल्ड ट्रंसफ्यूजन, अस्पताल में डिलिवरी जैसे सेवाओं से भी इनकार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा कोरोना के डर से या फिर जानकारी के अभाव के कारण हो रहा है. उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि अस्पतालों को अपनी सेवाएं जारी रखना जरूरी है. मन्ना डे के नाम दर्ज है 4,000 हजार गानों का रिकार्ड, जानें जीवन के रोचक तथ्य अपने बयान में आगे लव अग्रवाल ने साफ किया कि किसी मरीज की कोरोना जांच के लिए स्पष्ट प्रोटोकॉल है. इससे हटकर किसी भी मरीज को कोरोना की जांच के लिए नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि किसी भी मरीज का कोरोना की जांच करने के लिए तय प्रोटोकॉल के हिसाब ही कहा जाना चाहिए. अलग से जांच का दवाब बनाकर किसी को इलाज से वंचित नहीं किया जा सकता है. इंदौर में बढ़ेगा लॉकडाउन ? बैठक के बाद सांसद शंकर लालवानी ने दिया जवाब निहंगों के हमले में कट गया था हाथ, अब अस्पताल से स्वस्थ होकर घर लौटे SI हरजीत सिंह Indian Army रेवाड़ी में सैनिक के पदों पर निकली भर्तियां, 10वीं पास करें आवेदन