नई दिल्ली: मौसम वैज्ञानिकों की एक स्टडी में दावा किया गया है कि 1971 के पश्चात् से हीटवेव की वजह से देश में 17,000 से अधिक व्यक्तियों की मौत हुई है। अध्ययन के अनुसार, एक्सट्रीम वैदर इवेंट के कारण 1971 के पश्चात् से 1,41,308 व्यक्तियों की मौत हुई है। इनमें से 17,362 लोग हीटवेव की वजह से मारे गए हैं, जिसे EWE के तौर पर वर्गीकृत किया गया है। स्टडी में बताया गया है कि यह मौतें बीते 50 वर्षों में ईडब्ल्यूई की वजह से हुई कुल मौतों का 12 प्रतिशत हैं। स्टडी में पाया गया है कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना तथा ओडिशा में लू से सबसे अधिक मौतें हुईं हैं। आंकड़ों के इस रिसर्च पेपर को केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन, वैज्ञानिक- कमलजीत रे, एसएस रे, आरके गिरी तथा एपी डिमरी द्वारा लिखा गया है। कमलजीत रे इस वर्ष के आरम्भ में प्रकाशित पेपर के मुख्य लेखक हैं। वही यह अध्ययन हाल के सप्ताहों में उत्तरी गोलार्द्ध में पड़ी प्रचंड गर्मी के कारण अहमियत रखता है। इस सप्ताह के आरम्भ में कनाडा तथा अमेरिका में भीषण गर्मी पड़ने से कई व्यक्तियों की मौत हो गई। कनाडा के शहर के वैंकूवर में पारा सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 49 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा हो गया। भारत के उत्तरी मैदानी क्षेत्रों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर देखा गया। पहाड़ों पर भी तेज लू का प्रभाव महसूस किया गया। हीटवेव का ऐलान करने के लिए कई पैरामीटर्स होते हैं। मैदानी एवं पहाड़ी इलाकों में हीटवेव तब घोषित की जाती है जब किसी मौसम केंद्र का वास्तविक तापमान क्रमशः 40 डिग्री सेल्सियस तथा 30 डिग्री सेल्सियस होता है। उत्तराखंड में नए मुख्यमंत्री की शपथ से पहले भाजपा कर रही है ये बड़ा काम जगन्नाथ धाम पुरी में जल्द बनेगा हवाईअड्डा विक्की कौशल ने घर पर किया नए दोस्त का स्वागत, तस्वीर शेयर कर जाहिर की ख़ुशी