खुद को पिता की मौत का जिम्मेदार मानती हैं हेमा मालिनी, जानिए पूरा किस्सा

बॉलीवुड फिल्मों की जानी मानी मशहूर अभिनेत्री हेमा मालिनी आज 75 साल की हो चुकी हैं। हेमा ने सिर्फ 14 वर्ष की आयु से फिल्मी सफर शुरू किया था, मगर हिंदी नहीं तमिल फिल्मों से। आज पद्मश्री, लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड जैसे बड़े सम्मान से सम्मानित की जा चुकीं हेमा मालिनी कभी हीरोइन नहीं बनना चाहती थीं। मगर मां का सपना पूरा करने के लिए उन्होंने 11वीं में पढ़ाई छोड़कर क्लासिकल डांसर के तौर पर करियर का आरम्भ किया। हुनर की बदौलत में 13 वर्ष की आयु में उन्हें तमिल फिल्म मिली, मगर शूटिंग शुरू होने के बाद भी उन्हें ये कहकर फिल्म से निकाल दिया गया कि वो काफी दुबली-पतली हैं तथा कभी हीरोइन नहीं बन सकीं। मगर बोलते हैं न कि हुनर और लगन अधिक दिनों तक कामयाबी का मोहताज नहीं रखती। हेमा मालिनी एक जमाने की सबसे हिट एक्ट्रेस रहीं, मगर अफसोस की इसी स्टारडम के चलते उनके पिता की मौत हो गई। 16 अक्टूबर 1948 को हेमा मालिनी का जन्म तमिलनाडु के अम्मानकुड़ी में हुआ। उनकी मां जया लक्ष्मी थीं तथा पिता वी.एस.आर. चक्रवर्ती। हेमा को पढ़ाई में रुचि थी तथा उनका सबसे फेवरेट विषय इतिहास था। हालांकि उनकी मां जया लक्ष्मी चाहती थीं कि वो एक बड़ी क्लासिक्ल डांसर बनें। मां का सपना पूरा करने के लिए हेमा ने 11वीं कक्षा के पश्चात् पढ़ाई छोड़ दी तथा क्लासिकल डांस सीखना आरम्भ किया।

मां उन्हें डांसर बनाने के लिए इतनी जुनूनी थीं कि कई बार उनकी डांस टीचर बदली जाती थीं। इससे हेमा अक्सर परेशान रहती थीं। बेहतर डांस टीचर की ही तलाश में उनका परिवार मद्रास आ गया, क्योंकि उनकी मां का मानना था कि मद्रास में वो अच्छी प्रकार सीख सकेंगी। हेमा कपड़ों, हेयरस्टाइल से लेकर अपनी जिंदगी का हर फैसला अपनी मां के कहने पर ही लिया करती थीं। 1961 में हेमा मालिनी को सिर्फ 13 वर्ष की आयु में डांस की बदौलत तमिल डायरेक्टर सीवी श्रीधर की एक तमिल फिल्म में काम करने का अवसर प्राप्त हुआ था। हेमा ने उस फिल्म की शूटिंग भी आरम्भ कर दी थी। डायरेक्टर हेमा के नाम से भी नाखुश था। वो चाहता था कि हेमा अपना नाम बदलकर सुजाता रख लें। एक दिन हेमा सेट पर फिल्म की शूटिंग कर रही थीं कि तभी डायरेक्टर आया तथा उसने बोला, तुम बहुत दुबली-पतली हो कभी हीरोइन नहीं बनोगी। फिल्म से रिजेक्ट होने पर हेमा बहुत खुश थीं, क्योंकि वो कभी हीरोइन नहीं बनना चाहती थीं, मगर इससे उनकी मां को गहरा धक्का लगा था। मां के लिए ही आगे हेमा ने काम करना जारी रखा।

कुछ वक़्त पश्चात् ही हेमा को 1962 की फिल्म इंदु साथियम के एक गाने में डांस करने का अवसर प्राप्त हुआ। इसके पश्चात् से ही हेमा को कई तमिल फिल्मों में छोटे-मोटे किरदार दिए जाने लगे। एक दिन हेमा मालिनी को पता चला कि राज कपूर अपनी एक फिल्म के लिए नई हीरोइन की तलाश में हैं। मां के बोलने पर वो तुरंत स्क्रीनटेस्ट देने पहुंच गईं। टेस्ट देने से पहले हेमा मालिनी ने राज कपूर से साफ कह दिया कि उन्हें अभिनय की अधिक जानकारी नहीं है। जैसे ही टेस्ट शुरू हुआ तो राज कपूर, हेमा को देखते ही रह गए। उन्होंने तुरंत पास खड़े अपने दोस्तों से कहा, इस लड़की को देखिए, ये एक दिन बहुत आगे जाएगी। जाहिर है कि बेहतरीन अभिनय के दम पर हेमा मालिनी को फिल्म सपनों का सौदागर (1968) मिल गई। ये उनके करियर की पहली हिंदी फिल्म थी। फिल्म शानदार हिट रही और हेमा रातोंरात स्टार बन गईं।

ये किस्सा है 1968 का जब सपनो का सौदागर फिल्म हिट हुई थी। हेमा मालिनी को देशभर में लोकप्रियता मिल चुकी थी तथा उन्हें एक नजर देखने के लिए लोगों की भीड़ लगती थी। उस भीड़ में पाकिस्तान से केवल हेमा को देखने आया प्रशंसक भी सम्मिलित था, जो कई दिनों से उनके घर के बाहर बैठा हुआ था। जब कुछ दिनों के इंतजार के बाद भी उसकी हेमा से मुलाकात नहीं हो सकी तो एक दिन वो अवसर पाते ही आधी रात को उनके घर में चोरी-छिपे दाखिल हो गया। जैसे ही वो व्यक्ति घर के अंदर आया तो नौकरों और हेमा के पिता ने उसे देख लिया। पकड़े जाने पर जब शोर हुआ तो उसने टेबल पर पड़ी चाकू उठा ली। उसके सिरफिरे बर्ताव से हेमा मालिनी के पिता वी.एस.आर. चक्रवर्ती इस कदर डर गए कि उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। घर में पुलिस और चिकित्सकों को बुलाया गया, लेकिन अफसोस उनके पिता की जान नहीं बचाई जा सकी। इसके बाद से ही हेमा अपनी पिता की मौत की वजह अपने स्टारडम और स्वयं को मानने लगीं।

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