नई दिल्ली. राजस्थान सरकार की ओर से गुर्जर सहित अन्य जातियों को आरक्षण देने के लिए हाल ही विधानसभा में पेश किए गए विधेयक पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि राजनेता देश को बांट रहे हैं. न्यायाधीश के.एस. झवेरी तथा वी.के. व्यास की खंडपीठ ने विधेयक की क्रियांवती पर रोक के आदेश दिए. याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से यथा स्थिति के बावजूद भी बिल को पास किया गया है. याचिका में यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 में भी आरक्षण अधिनियम के तहत आरक्षण पचास फीसदी से अधिक किया गया था, जिसे हाईकोर्ट रद्द कर चुका है. हाईकोर्ट के इस आदेश को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यथा-स्थिति बनाए रखने को कहा है. राज्य सरकार ने एसएलपी लंबित रहते हुए बिल लाई है. ऐसे में बिल पर रोक लगाई जाए. गौरतलब है कि 25 अक्टूबर को राजस्थान विधानसभा में पिछड़ा वर्ग नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण विधेयक, 2017 पेश किया गया था. पेश हुए नए बिल में ओबीसी आरक्षण को दो कैटिगरी में बांटा गया था. पहली कैटिगरी में पहले की तरह 21 फीसदी आरक्षण जबकि दूसरी कैटिगरी में गुर्जर और बंजारा समेत 5 जातियों के लिए 5 फीसदी आरक्षण का अतिरिक्त प्रावधान किया गया था. आर्गेनिक प्रोडक्शन में सिक्किम करे अभी राज्यों की अगुवाई प्रद्युमन मर्डर केस में अब हरियाणा पुलिस ने दी सफाई दिल्ली की धुंध में कौनसा खरीदें एयर प्यूरिफायर