इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय अपने आदेश के विरूद्ध सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया। आपको यह पढ़कर बेहद आश्चर्य हो रहा होगा कि, आखिर कोई न्यायपीठ अपने ही आदेश को लेकर सर्वोच्च न्यायालय क्यों जाएगी,लेकिन ऐसा हुआ है। दरअसल न्यायिक सेवा के न्यायिक अधिकारियों की वरिष्ठता सूची रद्द करने के आदेश को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने चुनौती दी है। इस मामले में रजिस्ट्रार जनरल की ओर से याचिका दायर कर उच्च न्यायिक सेवा के न्यायिक अधिकारियों की वरिष्ठता सूची रद्द करने के आदेश को चुनौती दे दी है। मिली जानकारी के अनुसार, उच्च न्यायिक सेवा के अधिकारियों की वरिष्ठता सूची को नकार दिया गया था। ऐसे में अब न्यायिक अधिकारियों का प्रमोशन न तो जिला न्यायालय स्तर पर हो सकेगा और न ही उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों को प्रमोट किया जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार, उच्च न्यायिक सेवा के एक तिहाई न्यायिक अधिकारी उच्च न्यायालय में पदोन्नत होते हैं। जिसके अनुसार, उच्च न्यायालय में लगभग 14 न्यायिक अधिकारियों का प्रमोशन रूका हुआ है। जिसके कारण अन्य पदों पर पदस्थ न्यायिक कर्मचारियों को प्रमोशन दिया जाना था। इस कार्य के लिए तैयार की गई, वरिष्ठता सूची व विभाग में खाली पदों की लिस्ट वर्ष 2009 तक के डाटा के अनुसार,उपलब्ध थी और इसे अंतिम स्वरूप दे दिया गया था। मगर न्यायालय ने अपने आदेश में इसे रद्द कर दिया है। न्यायालय के इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे दी गई है। एससी ने लगाई एनजीटी के आदेश पर रोक एससी ने केजरीवाल पर निर्मित, डाॅक्युमेंट्री पर दिया फैसला प्रतिबंध के बाद भी महिला ने फोन पर दिया तलाक ताजमहल के करीब बनी संरचनाओं को ढहाने का दिया गया आदेश