लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायलय के लखनऊ खंडपीठ ने उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे एंटी रोमियो अभियान के तहत स्क्वाड को एंटी रोमियो स्क्वाड नाम दिए जाने को लेकर सुनवाई की। इस मामले में न्यायालय ने कहा कि आखिर नाम में क्या रखा है न्यायालय ने उदाहरण देते हुए कहा कि भले ही कोई गुलाब है तो यदि उसे कोई दूसरा शब्द दे दिया जाए तो भी वह महक ही बिखेरेगा। न्यायालय का कहना था कि यदि एंटी रोमियो स्क्वाड का नाम किसी अच्छे उद्देश्य से रखा गया है तो फिर इसे साहित्य को लेकर किए जाने वाले अपराध से जोड़ना ठीक नहीं होगा। इसी के साथ न्यायालय ने नाम बदलने की मांग वाली पिटीशन रद्द कर दी। इस दौरान न्यायालय ने कहा कि आखिर स्क्वाॅड का नाम क्या रखा गया है विषय यह नहीं है मगर मायने यह रखता है कि जो भी कार्रवाई की जा रही है वह नागरिकों की सुरक्षा की दृष्टि से सही है या नहीं है। उसने कहा कि आखिर नाम में क्या र खा है। मिली जानकारी के अनुसार जस्टिस एपी साही और जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने रितुराज मिश्रा की पिटीशन को लेकर कहा कि पिटीशन में एंटी रोमियो स्क्वाॅड के नाम पर किसी तरह की आपत्ती नहीं होना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि एंटी रोमियो स्क्वाॅड को लेकर एक माॅनिटरिंग अथाॅरिटी का गठन किया जाए। न्यायालय ने कहा कि भले ही शेक्सपियर ने रोमियो और जूलियट नाटक को रोमांटिक नाटक की तरह लिखा। न्यायालय ने कहा कि शेक्सपियर के नाटक में रोमियो व जूलियट नाटक पढ़ा होगा। लोग इस बात को भूलने लगते हैं। मगर इस नाटक से यह साफ होता है कि नाम कितना महत्वपूर्ण होता है। न्यायालय द्व ारा रोमियो व जूलियट नाटक के एक्ट टू सीन टू का उल्लेख किया गया। न्यायालय ने कहा कि कम लोग इस उपन्यास को लेकर एक तथ्य को जानते हैं मूल रूप से इटली के स्ट्रीट आॅफ वेरेना में 1997 में यह कहानी लिखी गई थी। एंटी रोमियो स्क्वाॅड का नाम एंटी कृष्ण स्क्वाॅड क्यों नहीं UP सरकार करेगी 100 दिन के एजेंडे पर काम