लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बेहद गंभीरता से लिया है। यूपी के बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए संघर्ष समिति के प्रमुख समेत कई पदाधिकारियों व कर्मचारी नेताओं के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिया है। अदालत ने राज्य सरकार को पूरे यूपी में जहां भी बिजली आपूर्ति गड़बड़ है, वहां फ़ौरन व्यवस्था बहाल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने हड़ताली कर्मचारी नेताओं और विभाग के अधिकारियों की सोमवार को तलब किया है। यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र एवं जस्टिस विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने वकील विभू राय की अर्जी पर दिया है। वकील विभू राय ने आज शुक्रवार (17 मार्च) सुबह खंडपीठ के समक्ष बिजली कर्मचारियों की प्रदेशव्यापी हड़ताल का मुद्दा उठाते हुए कहा कि गत वर्ष उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को अवैध करार देते हुए हड़ताल ख़त्म करने का आदेश दिया था। इसके बाद भी यह हड़ताल की गई है, जो अदालत के आदेश की स्पष्ट अवमानना है। इस पर अदालत ने बिजलीकर्मियों की हड़ताल को अवमाननाजनक मानते हुए संघर्ष समिति के अध्यक्ष समेत अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी करते हुए सोमवार को सुबह 10 बजे तलब किया है। साथ ही राज्य सरकार से सूबे में आपूर्ति बाधित न होने के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है। असम पेपर लीक मामले में हिमंता सरकार का बड़ा एक्शन, शिक्षकों समेत 27 गिरफ्तार गुलाम नबी ने माना जम्मू कश्मीर में कम हुआ आतंकवाद, बोले- अब फायदा उठाए सरकार कोरोना महामारी का दौर खत्म ! अब कैदियों को इमरजेंसी पैरोल और जमानत में नहीं मिलेगी रियायत- सुप्रीम कोर्ट