हिजाब-दाढ़ी बैन, अवैध मस्जिदों पर एक्शन..! आखिर मुस्लिम देश में ऐसा क्यों कर रही सरकार

दुशान्बे: ताजिकिस्तान ने इस्लामिक देशों की परंपराओं से अलग हटते हुए, महिलाओं के हिजाब पहनने और धार्मिक आयोजनों में बच्चों की भागीदारी पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने मस्जिदों को भी बंद कर दिया है और उनकी जगह व्यावसायिक प्रतिष्ठान स्थापित किए जा रहे हैं। ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन ने हिजाब को 'विदेशी परिधान' बताते हुए इसके सार्वजनिक उपयोग पर आपत्ति जताई है। उन्होंने पहले इस पर अनाधिकारिक तौर पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन हाल ही में संसद ने इसे कानूनी रूप से भी प्रतिबंधित कर दिया। अब हिजाब पहनने, बेचने और बढ़ावा देने पर सख्त प्रतिबंध हैं, और नियमों का उल्लंघन करने पर 700 डॉलर तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

राष्ट्रपति रहमोन के ये कदम धार्मिक कट्टरता को कम करने और ताजिकिस्तान को वैश्विक परिदृश्य पर अधिक समावेशी बनाने के उद्देश्य से उठाए गए हैं। सोवियत संघ के विघटन के बाद, ताजिकिस्तान में कट्टरपंथी ताकतों के उभार ने देश को कई वर्षों तक अशांति में डाल दिया। इस स्थिति को देखते हुए, रहमोन ने कट्टरपंथियों को नियंत्रण में लाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें कई मस्जिदों को बंद कर देना शामिल है। सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में दो हजार से अधिक मस्जिदें बंद की हैं और इन्हें कैफे, सिनेमाघर, फैक्ट्री या सामाजिक कार्य केंद्रों में बदल दिया है। यह कदम धार्मिक कट्टरता को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया था।

रह्मोन के इन कदमों की आलोचना भी हुई है, खासकर धार्मिक आजादी के संदर्भ में। कुछ आलोचक मानते हैं कि ये कदम धार्मिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के समान हैं। ताजिकिस्तान की सरकार ने कट्टरपंथी संगठनों पर भी कार्रवाई की है, जिसमें इस्लामिक पुनर्जागरण पार्टी पर प्रतिबंध लगाना शामिल है। रह्मोन ने अपनी राजनीतिक स्थिति को स्थिर बनाए रखने के लिए कई संवैधानिक संशोधन भी किए हैं, जिससे वे लंबे समय तक सत्ता में बने रह सकते हैं। धार्मिक चरमपंथ पर नियंत्रण के बावजूद, महिलाओं की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन उनकी निजी स्थिति में बहुत बदलाव नहीं आया है। यूनिसेफ की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, ताजिकिस्तान में 40 प्रतिशत से अधिक महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं।

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