नई दिल्ली: भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपूर शर्मा के मामले में सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई के बाद आम जनता, न्यायधीशों द्वारा की गई टिप्पणी से काफी नाराज दिखाई दे रहे हैं। अभी तक जहाँ सोशल मीडिया केवल उन न्यायाधीशों की टिप्पणियों की निंदा की जा रही थी, वहीं अब उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की माँग उठने लगी है। इस संबंध में सोशल मीडिया पर हस्ताक्षर अभियान भी चल रहा है। हिंदू IT सेल के विकास पांडे ने अपने ट्वीट में इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा है कि, 'मैंने एक याचिका तैयार की है, जो सांसदों को भेजी जाएगी। ये न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे.बी परदीवाला के खिलाफ महाभियोग कार्रवाई शुरू करवाने की दिशा में एक कदम है। याचिका पर दस्तखत करें!' बता दें कि www.change.org प्लेटफॉर्म पर चलाई जा रही इस याचिका पर खबर लिखे जाने तक लगभग 12500 लोग साइन कर चुके हैं। याचिका में सांसदों को संबोधित करते हुए कहा गया है कि, 'सभी सांसदों, ये न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी परदीवाला के खिलाफ महाभियोग चलवाने के लिए शुरुआत है।' याचिका में देश के हालातों पर चिंता जाहिर करते हुए नुपूर शर्मा का मुद्दा उठाया गया है। इसमें कहा गया कि इस तरह जान का खतरा होने के चलते विभिन्न राज्यों में हो रही शिकायतों को एक जगह क्लब करने के लिए नुपूर ने देश की सबसे बड़ी अदालत रवाजा खटखटाया था। मगर, जब सुनवाई की बारी आई तो जजों ने मामला सुने बगैर ही उन्हें देश में हिंसा भड़काने और उदयपुर में हुई कन्हैयालाल की हत्या का एकमात्र जिम्मेदार ठहरा दिया। याचिका में कहा गया कि ऐसे मामलों में केवल इस्लामी कट्टरपंथी और तालिबान जैसी भारत विरेधी ताकतों को शह मिलती है और हिंदुओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा बुरा दिखाया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय ने गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार दिखाया है। इसके साथ ही बगैर किसी तथ्य के इस प्रकार की गैरकानूनी टिप्पणी की है। ये देश के मूल्यों और नैतिकता के विरुद्ध है। इसलिए दोनों न्यायाधीशों पर महाभियोग चलाने की माँग इस याचिका में की गई है। बता दें कि इस याचिका को मिल रहा समर्थन दर्शा रहा है कि किस तरह लोगों में सर्वोच्च न्यायालय के जजों की टिप्पणी के प्रति नाराजगी है। वह लोग इस अभियान को समर्थन दे रहे हैं और सवाल कर रहे हैं कि क्यों आखिर तालिबान तक ने सर्वोच्च न्यायालय को समर्थन दे दिया है ? आतंकियों के लिए कोर्ट आधी रात में क्यों खुलने लगा है? लोगों में नाराज़गी है कि इस प्रकार एक महिला की याचिका पर टिप्पणी कर न्यायपालिका का मजाक बनाया गया है। बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय के जजों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए महाभियोग ही वह प्रक्रिया है, जिसका अनुसरण करके निर्णय लिया जाता है। जानकारी के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर महाभियोग चलाने का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 124 (4) में है। इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के किसी न्यायमूर्ति पर कदाचार और अक्षमता के लिए महाभियोग का प्रस्ताव लाया जा सकता है। अनुच्छेद 124 में में न्यायमूर्तियों को उनके पद से हटाए जाने का भी प्रावधान है। 'फर्जी ख़बरें' Twitter के लिए अभिव्यक्ति की आज़ादी क्यों ? आम आदमी को एक और झटका, रसोई गैस की कीमतों में हुआ बड़ा इजाफा आखिर क्यों सड़कों पर भीख मांगने के लिए मजबूर हुआ ये रिटायर बैंक मैनेजर ?