नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार (9 अगस्त) को राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर हंगामा कर रहे फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया, जो इजराइल के विरोध में और फिलिस्तीन (हमास) के समर्थन में नारे लगा रहे थे। गिरफ्तार किए गए लोगों में दिल्ली में एपीजे अब्दुल कलाम चौराहे पर प्रदर्शन करने के लिए अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) की नेता एनी राजा भी शामिल हैं। पुलिस बल ने नई दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे लोगों से बैनर और तख्तियां छीन लीं, जो 7 अक्टूबर को गाजा पट्टी से आए फिलिस्तीनियों द्वारा इजरायल के साथ सीमावर्ती गांवों में किए गए आतंकवादी हमलों के बाद युद्ध की आशंका के लिए थे। इजरायल ने 2007 से गाजा पट्टी पर निरंकुश रूप से नियंत्रण रखने वाले आतंकवादी संगठन हमास को खत्म करने के लिए जमीनी हमला किया था। 'इंडियंस फॉर फिलिस्तीन' नामक सामूहिक संगठन द्वारा आयोजित यह विरोध प्रदर्शन खान मार्केट क्षेत्र से शुरू हुआ और गाजा में तत्काल युद्ध विराम की मांग करते हुए इजरायली दूतावास की ओर मार्च कर रहा था। गौरतलब है कि ज्यां द्रेज कांग्रेस सरकार के दौर में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (NAC) के सदस्य थे, जो तत्कालीन मनमोहन सरकार को सलाह देने के लिए बनाई गई थी। इस NAC की अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं। वैसे ये एक दिलचस्प तथ्य है कि, आज़ादी के बाद से आज तक भारत के किसी प्रधानमंत्री के ऊपर इस तरह की सलाहकार समिति नहीं रही, पीएम के पास अपना एक सलाहकार हुआ करता था। लेकिन ये अनोखा रिवाज़ भारत ने सिर्फ मनमोहन सरकार के दौरान देखा, जब विदेशी होने के नाते सोनिया गांधी के पीएम बनने का विरोध होता था, इसलिए कांग्रेस पार्टी ने NAC बनाई और सोनिया जी उसमे अध्यक्ष बन गईं। बहरहाल, फिलिस्तीन के समर्थन में आवाज़ उठा रहे, प्रदर्शनकारी चाहते थे कि भारत 7 अक्टूबर को हमास द्वारा किए गए आतंकी हमलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के अपने फैसले के लिए इजरायल के साथ सभी संबंध खत्म कर दे, जिसमें 1,300 लोग मारे गए और सैकड़ों अन्य को आतंकियों द्वारा बंदी बना लिया गया। हैरानी की बात ये भी है कि, इन प्रदर्शनकारियों ने हमास के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा, जिसने इजराइल में निर्मम हत्याएं की, लड़कियों के वीभत्स सामूहिक बलात्कार किए और कई बंदियों को आज भी गाजा पट्टी के नीचे सुरंगों की विशाल भूलभुलैया में दयनीय परिस्थितियों में रखा हुआ है। अन्य मांगों में भारत सरकार द्वारा इजरायल को सैन्य उपकरण और गोला-बारूद की बिक्री को रोकना शामिल था, जिसका उपयोग इजरायली रक्षा बल गाजा में अभी भी सक्रिय हमास आतंकवादियों के खिलाफ कर सकते हैं। प्रदर्शनकारियों ने उन कंपनियों और संगठनों का बहिष्कार करने का आग्रह किया, जिन्होंने यहूदी राष्ट्र को नष्ट करने की कसम खाने वाले संगठन के खिलाफ अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा में इजरायल का समर्थन किया था। गौर करने वाली बात ये भी है कि, एक तरफ ये वामपंथी और कांग्रेस समर्थक लोग, गाज़ा और हमास के लिए दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं, पहले भी कर चुके हैं, कांग्रेस खुद अपनी कार्यसमिति की बैठक में हमास के आतंकी हमले का जिक्र किए बिना, फिलिस्तीन के समर्थन का ऐलान कर चुकी है। वहीं, ये तमाम लोग, बांग्लादेश में जारी हिन्दुओं के नरसंहार पर बिलकुल मौन हैं, अक्सर मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए गाज़ा-फिलिस्तीन के मुद्दे उठाने वाले ये लोग बांग्लादेश में निर्दोष अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति पर एक ट्वीट भी नहीं कर पाए हैं। PM आवास के बाद अब बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट का भी घेराव ! चीफ जस्टिस ओबेदुल हसन को देना पड़ा इस्तीफा UAE से गिरफ्तार कर खालिस्तानी आतंकी तरसेम सिंह को भारत लाइ NIA, वांटेड लखबीर लांडा का है भाई क्या उद्धव होंगे गठबंधन के CM उम्मीदवार ? संजय राउत बोले- उन्होंने और राहुल गांधी ने केंद्र के खिलाफ उठाई आवाज़