कभी आपने किसी ऐसी दीवार के बारे में सुना है, जिसने एक देश को दो हिस्सों में बांट दिया हो और वो भी रातों-रात, लेकिन कुछ सालों के बाद वो दो हिस्से फिर से एक हो गए हो. जी हां, आज हम आपको एक ऐसी दीवार के बारे में बताने जा रहे है. जिसने एक देश को दो हिसों में बांट दिया था. इस दीवार का नाम है बर्लिन की दीवार, जो जर्मनी में है. इस दीवार ने 28 साल तक बर्लिन शहर को पूर्वी और पश्चिमी टुकड़ों में विभाजित करके रखा था. 13 अगस्त, 1961 को इसका निर्माण शुरू हुआ था, जो 14 अगस्त की सुबह तक चला था और नौ नवंबर 1989 को इसे तोड़ दिया गया था. आपको बता दें की बर्लिन की यह दीवार करीब 160 किलोमीटर लंबी थी. इसे बनाने वाले अभियान का नाम दिया गया था 'ऑपरेशन पिंक'. दरअसल, इस दीवार को बनाने के पीछे की कहानी कुछ इस प्रकार है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जब जर्मनी का विभाजन हो गया, तो सैकड़ों कारीगर और व्यवसायी हर दिन पूर्वी बर्लिन को छोड़कर पश्चिमी बर्लिन जाने लगे. इसके अलावा कुछ लोग राजनैतिक कारणों से भी पूर्वी बर्लिन को छोड़कर जाने लगे थे, जिससे पूर्वी जर्मनी को आर्थिक और राजनैतिक दोनों रूप से बहुत नुकसान होने लगा था. आखिरकार लोगों के प्रवासन को रोकने के लिए एक दीवार बनाने की सोची गई और उसी दीवार को आज दुनिया बर्लिन की दीवार के नाम से जानती है. इसे बनाने की मंजूरी सोवियत संघ के सर्वोच्च नेता निकिता ख्रुश्चेव ने दी थी. ये भी माना जाता है कि दीवार बन जाने के बाद लोगों का प्रवासन काफी हद तक कम हो गया. एक अनुमान के अनुसार, साल 1949 और 1962 के बीच जहां 25 लाख लोग पूर्वी बर्लिन को छोड़कर पश्चिमी बर्लिन गए, तो वहीं साल 1962 से 1989 के बीच सिर्फ पांच हजार लोग. हालांकि दीवार बनने के कारण बहुत सारे लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी थी, क्योंकि जब भी कोई व्यक्ति चोरी-छुपे दीवार फांदकर पूर्वी बर्लिन से पश्चिमी बर्लिन जाने की कोशिश करता, उसे सीधे गोली मार दी जाती है. हालांकि इसके बावजूद बहुत से लोगों ने दीवार पार करने के अनोखे तरीके खोज लिए थे, जैसे- सुरंग बनाकर लोग उस पार चले जाते या फिर गरम हवा के गुब्बारों में घुसकर भी दीवार पार कर जाते. इसके अलावा लोग तेज रफ्तार गाड़ियों से दीवार को तोड़ते हुए निकल जाते थे. 1980 के दशक में जब सोवियत संघ कमजोर पड़ने लगा तो पूर्वी जर्मनी में दीवार के विरोध में प्रदर्शन शुरू हुए. आखिरकार नौ नवंबर 1989 को दीवार तोड़ दी गई और जर्मनी फिर से एक हो गया. ये है अनोखी घड़ी, जिसमें नहीं है बारह नंबर दुनिया का वो दूसरा घना जंगल, जिसके कई हिस्सों में नहीं पहुंच पाती है धुप भारत के इस किले से दीखता है पूरा पाकिस्तान, आठवां द्वार है आज तक रहस्यमय