गांधीनगर लोकसभा सीट: 30 साल से यहाँ अजेय है भाजपा, कभी था आडवाणी का गढ़

गांधीनगर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह शनिवार को जब पर्चा दाखिल करेंगे तो गांधीनगर लोकसभा सीट का इतिहास फ्लैशबैक में 28 वर्ष पहले भी जाएगा। तब पहली दफा भाजपा के तब के सबसे प्रभावशाली नेता और अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था। उस समय अमित शाह ही उनके चुनाव प्रचार के प्रभारी थे, किन्तु अब समय शाह के पीछे पीछे चल रहा है।

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2014 से 2019 आते आते भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में डाले जा चुके वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के लिए भाजपा भी बदल गई है और गांधीनगर भी। गांधीनगर लोकसभा सीट भाजपा में आडवाणी युग के पूरी तरह ही अंत होने और अमित शाह के नए आयरनमैन बनने की दास्तान है। जिस गांधीनगर सीट से आडवाणी 6 बार सांसद बने, उस सीट पर भाजपा ने अब अपने अध्यक्ष को उतारा है। भाजपा के लिए गांधीनगर सीट सबसे विश्वसनीय और जिताऊ सीट मानी जाती है। इसीलिए 1991 में यहां से पहली बार एल के आडवाणी ने चुनाव लड़ा, उसके बाद वे इसी सीट के होकर रह गए।

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1989 में पहली मर्तबा आडवाणी ने नई दिल्ली लोकसभा सीट से का चुनाव लड़ा और जीता भी, किन्तु 1991 में कांग्रेस ने नई दिल्ली लोकसभा सीट पर उनके विरुद्ध सुपर स्टार रहे राजेश खन्ना को मैदान में उतार दिया। भाजपा के लिए वो सीट फंसती दिखाई दे रही थी, किन्तु आडवाणी तब तक सोमनाथ से अयोध्या के लिए निकाली गई अपनी राम रथ यात्रा और गिरफ्तारी के बाद हिंदू हृदय सम्राट बन चुके थे और मोदी उनके सबसे नजदीकी लेफ्टिनेंट। गांधीनगर लोकसभा सीट पर उस समय शंकर सिंह वाघेला सांसद थे। मोदी की सलाह पर आडवाणी गांधीनगर से उतरे और वाघेला से सीट छीन गई। इस समय अडवाणी के लिए अमित शाह ने ही प्रचार किया था, किन्तु अब समीकरण बदल गया है।

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