60 साल पहले काफी मॉर्डन था ईरान, आज इस्लामिक कानून के तहत है कई पाबंदियां

बगदाद: ईरान में शरिया कानून प्रभावी है। इसी कारण वहां के लोगों को कई किस्म की पाबंदियों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं को हिजाब में रहना अनिवार्य है। जो इस कानून को नहीं मानता या इसका उल्लंघन है उसे सख्त सजा दी जाती है। किन्तु 70 के दशक में ईरान ऐसा नहीं था। वहां इतनी आधुनिकता थी, जितनी आज के पश्चिमी देशों में नज़र आती है। यानी पश्चिमी देशों से अधिक मॉडर्न था ईरान।

इस्लामिक क्रांति से पहले ईरान में पश्चिमी सभ्यता का जबरदस्त वर्चस्व था। लोग भी इसका भरपूर आनंद लेते थे। खुलापन था। आजादी थी। पहनावे और खानपान को लेकर कोई पाबंदी नहीं थी। कला, संगीत, फिल्म और साहित्य को लेकर काफी जागरूक थे। जीने के अंदाज को लेकर किसी किस्म की रोकटोक नहीं थी। किन्तु अभी हाल ही में ईरान में 8 सेलिब्रिटीज को सोशल मीडिया पर मॉडलिंग की तस्वीर साझा करने के लिए जेल भेज दिया गया।

इन आठों सेलिब्रिटीज पर इल्जाम लगा था कि इन्होंने इस्लाम विरोधी संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया है। ये शरीया कानून के विरुद्ध है इसलिए इन्हें जेल में डाला दिया गया है। आपको बता दें कि 1935 तक फारस नाम से भी जाना जाता था। उस समय यहां फारसी, अजरबैजान, कुर्द (क़ुर्दिस्तान) और लूर जाति के लोग रहते थे, लेकिन इस्लामिक क्रांति के बाद यहां इस्लाम तेजी से फैला और 1979 में ईरान को इस्लामिक गणराज्य घोषित कर दिया गया।

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