होली त्यौहार रंगों का त्यौहार कहलाता है, होलिका दहन, होली त्यौहार का पहला दिन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इसके अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है. रंगों से खेलने की परंपरा दिल को खुश और वैराग्य से दूर कर देती है. पुराने गीले शिकवो को दूर कर होली के पावन त्यौहार पर प्यार का पैगाम भेजे. होली खुशियां लाती है, रूठे हुए चेहरो पर मुस्कान लाती है. इसीलिए तो कहते है, बुरा न मानो होली है. होली दुश्मनी खत्म कर फिर से लोगो को अपना बना देती है. होली बुराई पर अच्छाई की विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है. फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक माना जाता है, जिसमे शुभ कार्य वर्जित रहते है. होलिका दहन पूर्णिमा के दिन किया जाता है. होली और होलिका दहन के पीछे एक कहानी दानवराज हिरणकश्यप ने जब देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के अलावा और किसी को नहीं पूजता, तो उन्होंने क्रोध में आकर अपनी बेटी होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए. चूंकि होलिका को वरदान था कि उसे अग्नि नुकसान नहीं पंहुचा सकती. किन्तु होलिका इसके विपरीत जलकर भस्म हो गई और प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ. यह भी आस्था है कि भगवान श्रीकृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध किया था, इस ख़ुशी में गोपियो ने उसके साथ होली खेली थी, होलिका दहन करने से पहले होली की पूजा की जाती है. सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका में अग्नि प्रज्वलित कर दी जाती है, इसके बाद में पुरुष रोली का टिका लगाते है और महिलाएं गीत गाती है. ऐसा भी मान्यता है कि होली की बची हुई अग्नि और राख को अगले दिन प्रातः घर में लाने से घर को अशुभ शक्तियों से बचाने में सहयोग मिलता है तथा इस राख को शरीर पर लेपन करते है. ये तो रही होली की रस्मे, किन्तु आज होली पानी के दुरूपयोग को भी दर्शाती है. 'सेव वाटर' के अभियान के साथ इको फ्रेंडली होली खेली जा सकती है. ये भी पढ़े Video : होली पर कुछ इस तरह रंग चढ़ता है हर किसी पर मस्ती का भारतीयों के रंगीन मिजाज को दर्शाता है यह होली का विडियो अपनी राशि के अनुसार रंग चुन कर खेले होली