पैरालिसिस यानि लकवा या पक्षाघात एक वायु रोग है, युवावस्था में अत्यधिक भोग विलास, नशीले पदार्थों का सेवन, आलस्य आदि से स्नायविक तंत्र धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है. जैसे-जैसे आयु बढ़ती जाती है, इस रोग के आक्रमण की आशंका भी बढ़ती जाती है. सिर्फ आलसी जीवन जीने से ही नहीं, बल्कि इसके विपरीत अति भागदौड़, क्षमता से ज्यादा परिश्रम या व्यायाम, अति आहार आदि कारणों से भी लकवा होने की स्थिति बनती है 1. बला मूल (जड़) का काढ़ा सुबह-शाम पीने से आराम होता है. 2. उड़द, कौंच के छिलकारहित बीज, एरण्डमूल और अति बला, सब 100-100 ग्राम ले कर मोटा-मोटा कूटकर एक डिब्बे में भरकर रख लें. दो गिलास पानी में 6 चम्मच चूर्ण डालकर उबालें जब पानी आधा गिलास बचे तब उतारकर छान लें और रोगी को पिला दें. यह काढ़ा सुबह व शाम को खाली पेट पिलाएं. 3. लहसुन की 4 कली सुबह और शाम को दूध के साथ निगलकर ऊपर से दूध पीना चाहिए. लहसुन की 8-10 कलियों को बारीक काटकर एक कप दूध में डालकर खीर की तरह उबालें और शकर डालकर उतार लें. यह खीर रोगी को भोजन के साथ रोज खाना चाहिए. 4. तुम्बे के बीजों को पानी में पीसकर लकवाग्रस्त अंग पर लेप करने से लाभ होता है. 5. सौंठ और सेंधा नमक बराबर मात्रा में लेकर पीस लें. इस चूर्ण को नकसीर की भांति दिन में 2-3 बार सूंघने से होता है. क्या आपके दांतो पर भी लग जाती है लिपस्टिक