नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने केंद्र शासित प्रदेशों और सूबे के सभी मुख्य सचिवों को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों की सुरक्षा है और उन्हें इस बारे में पुलिस और जेल अधिकारियों को संवेदनशील बनाने का निर्देश दिया गया है। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि सभी राज्यों को ट्रांसजेंडरों की सुरक्षा और पुनर्वास करने की जरुरत है। गृह मंत्रालय ने अपनी चिट्ठी में लिखा था कि, "कानून राज्य सरकारों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा न सिर्फ कल्याणकारी उपायों के लिए पर्याप्त कदम उठाए जाने का आदेश देता है। साथ ही ट्रांसजेंडर लोगों के बचाव, संरक्षण और पुनर्वास के लिए भी कदम उठाने के लिए कहता है।" गृह मंत्रालय ने कहा है कि ट्रांसजेंडर्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) अधिनियम, 2019 की धारा 18 के तहत, सरकार द्वारा सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए किसी भी अनिवार्य सेवा के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को जबरदस्ती या बंधुआ मजदूरी के कार्य में शामिल होने के लिए किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति को बाध्य करने या उसके साथ छेड़छाड़ करने की स्थिति में ये एक दंडनीय अपराध है।। अधिनियम के बारे में जानकारी देते समय, MHA ने कहा कि अगर कोई किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति को सार्वजनिक स्थान पर जाने के अधिकार से वंचित करता है या ऐसे शख्स को किसी सार्वजनिक स्थान पर जाने या इस्तेमाल करने से रोकता है, जहां अन्य सदस्यों के पास पहुंच या इस्तेमाल करने का अधिकार है, तो यह भी दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। AAP विधायक सोमनाथ भारती को दो साल की जेल, लेकिन कोर्ट ने साथ ही दे दी बेल अफ्रीका में कोरोना का कहर, 3,368,330 तक पहुंचा संक्रमितों का आंकड़ा इस राज्य में 42 हजार छात्रों को मिलेगी छात्रवृत्ति