IPC 377 के तहत अब समलैंगिक संबंध बनाना कोई अपराध नहीं है. इस बारे में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे दिए हैं अब ये समलैंगिक संबंध अपराध के अंतर्गत नहीं आएंगे. देशभर में इसे लेकर लोग खुश हैं वहीं कुछ लोगों के लिए ये अब भी गलत है. दरअसल ये कानून हमारे देश में आज लागू हुआ है लेकिन ये अंग्रेजों के ज़माने से चला रहा है जिसमें वो Homosexuality या समलैंगिकता को अपराध नहीं मानते थे. वहीं कुछ देशों में इसे अपराध माना जाता है कहीं इसकी आज़ादी पहले से मिली हुई है. जहाँ पर ये संबंध वैध हैं उसको देखते हुए ही भारत में भी ये संस्कृति बनने लगी और इसे मंज़ूरी मिल गई. लेकिन आपको ये जानकार हैरानी होगी किए समलैंगिक संबंध आज से नहीं बल्कि पौराणिक काल से चला आ रहा है. जी हाँ, पुराणों में भी इन बातों का बखान है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. * आपको बता दें, वाल्मीकि रामायण में ये पाया गया है कि हनुमान ने आपस में 2 राक्षस स्त्रियों को चूमते और गले लगाते देखा था. * रामायण में एक दिलीप राजा का ज़िक्र है जिनकी दो पत्नियां थी. उन्होंने किसी को अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया था और चल बेस. इसके बाद भगवान शिव ने उन दोनों को सपने में आकर एक-दूसरे के साथ संबंध बनाने की बात कही थी. ऐसा करने पर उन्हें एक पुत्र भी हुआ भगीरथ जो गंगा को धरती पर लेकर आये थे. * वहीं महाभारत में एक और जिक्र है शिखंडी का जिसे आप एक ट्रांसजेंडर बोल सकते हैं. शिखंडी ने भी भीष्म पितामाह को मारा था. शिखंडी के पिता द्रुपद ने उसका विवाह एक स्त्री से किया था लेकिन जब पत्नी को शिखंडी के बारे में पता चला तो उसने विरोध किया और उसे पुरुषत्व का वरदान मिला. * चाणक्य ने भी अपने 'अर्थशास्त्र' में समलैंगिक संबंधों के बारे में बताया है कि जो भी ऐसे संबंध बनाता है उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए. * वात्स्यायन की कामसूत्र किताब भी समलैंगिक संबंधों पर लिखी गई है जो आज नहीं बल्कि काई सालों पहले लिखी थी. * आपने देखा होगा खजुराहो की में कई तरह की मूर्तियां बनी हुई हैं और उनमे से कई समलैंगिक मूर्तियां भी हैं जिनमे आप नग्न स्त्रियों को एक दूसरे से लिपटते हुए देख सकते हैं जिनमे वो संबंध बना रही हैं. खबरें और भी.. समलैंगिक समुदाय ने देश भर में मनाया जश्न, संयुक्त राष्ट्र ने भी सराहा अदालत का निर्णय समलैंगिक यौन संबंधों के फैसले पर सबसे ज्यादा खुश हुए करण समलैंगिक समुदाय की शीर्ष तीन याचिकाएं, जिनके आगे नतमस्तक हुई धारा 377