आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में COVID-19 संक्रमण से ठीक होने के पश्चात् भी एक प्राइवेट हॉस्पिटल में वृद्ध मरीज की मौत हो गई. परिवार के सदस्यों ने हॉस्पिटल मेनेजमेंट पर गंभीर दोष लगाए हैं. मृतक के परिवार का कहना है कि संक्रमण से स्वस्थ होने के पश्चात् हॉस्पिटल ने तीन दिन तक मरीज की रिपोर्ट दबाकर रखी. शुक्रवार की रात हॉस्पिटल स्टाफ की चूक से ऑक्सीजन न प्राप्त होने की वजह से वृद्ध मरीज की जान चली गई. केस थाना हरीपर्वत इलाके के एक हॉस्पिटल का है. यहां 16 अगस्त को सदर इलाके के मधु नगर रहवासी सुनील शर्मा ने अपने पिता रामभज शर्मा को कोरोना के उपचार के लिए एडमिट कराया था. रामभज के पोते चिकित्सक पुनीत पाराशर का आरोप है कि मरीज की रिपोर्ट नकारात्मक आई, किन्तु हॉस्पिटल ने बिल बढ़ाने के लिए तीन दिन तक दबाए रखी. वही इस बात की जानकारी मिलने पर परिवार के सदस्यों ने हॉस्पिटल के डॉक्टर से कहा, तो उन्होंने मरीज को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने की बात कही. साथ ही उनसे कहा गया कि अभी मरीज को ऑक्सीजन की आवश्यकता है. तत्पश्चात, ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ मरीज को नीचे लाया गया, तो उनके सिलेंडर की प्राणवायु समाप्त हो गई. जिस एम्बुलेंस को मरीज के लिए हॉस्पिटल द्वारा मंगवाया गया था, उसमें प्राणवायु सिलेंडर ही नहीं था. आरोप है कि परिजनों के सामने हॉस्पिटल के स्टाफ ने एक-एक करके 10 प्राणवायु सिलेंडर लगाए, किन्तु सभी रिक्त निकले. वक़्त से प्राणवायु प्राप्त ना होने से मरीज की मौत हो गई. वही अब पुलिस द्वारा मामले की जांच की जा रही है. तेलंगाना : वित्तमंत्री हरीश राव कोरोना वायरस की चपेट में आए सीमा विवाद के बीच इंडियन आर्मी ने पेश की मिसाल, बचाई 'जीरो' डिग्री में फंसे चीनी नागरिकों की जान हरियाणा में मिले सबसे ज्यादा कोरोना के नए मरीज, 19 संक्रमितों ने तोड़ा दम