दुनिया के ताकतवर देशों में शामिल अमेरिका के डॉक्‍टर कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करने के लिए एक नए तरीके पर काम कर रहे हैं. ह्यूस्टन के ह्यूस्टन मेथोडिस्ट हॉस्पीटल के डॉक्‍टरों ने कोरोना संक्रमण से ठीक हुए एक मरीज का खून इस बीमारी से गंभीर रूप से पीड़ित एक रोगी को चढ़ाया है. ऐसा प्रायोग करने वाला यह देश का पहला अस्‍पताल बन गया है. समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, घातक कोरोना से दो हफ्ते से अधिक समय तक लड़कर स्‍वस्‍थ्‍य हो रहे एक शख्‍स ने ब्लड प्लाज्मा कोनवा लेस्सेंट सीरम थेरेपी के लिए दान दिया है. चीन में फिर लौटा कोरोना का कहर, 5 की मौत 45 नए मामले मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, माना जा रहा है कि इलाज का यह तरीका साल 1918 के स्पैनिश फ्लू महामारी के समय का है. मेथोडिस्ट्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉ. एरिक सलाजार ने अपने बयान में कहा कि कोनवालेस्सेंट सीरम थेरेपी कोरोना के इलाज का एक कारगर तरीका हो सकता है. हालांकि, अभी चल रहे नैदानिक परीक्षणों में थोड़ा समय लग सकता है लेकिन हमारे पास इतना वक्‍त नहीं है. 'माही' को लेकर हर्षा भोगले का बड़ा बयान, कहा- ख़त्म हो चुका है धोनी का समय इस तरीके को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि इलाज के इस तरीके को इस हफ्ते के अंत में तेजी से इस्तेमाल किया गया. मेथोडिस्ट्स रिसर्च इंस्टीट्यूट ने 250 मरीजों से ब्लड प्लाज्मा लिया है जो वायरस से पीड़ित हुए थे. अस्‍पताल के अध्यक्ष एवं सीईओ मार्क बूम ने कहा कि इस बीमारी के बारे में जानने के लिए बहुत कुछ है. यदि इस थेरेपी से संक्रमण से जूझ रहे लोगों को बचाने में मदद मिलती है तो हमारे द्वारा हमारे ब्लड बैंक और हमारे शैक्षणिक चिकित्सा के पूर्ण संसाधनों को प्रयोग में लेना एक सार्थक कदम होगा. संगीत दौरे के लिए एक साथ नजर आएंगे एनरिक और रिकी पायलट को बनाया कोरोना ने शिकार, इस कंपनी का उड़ाते थे विमान कोरोना : एयरपोर्ट अथॉरिटी ने पीएम केयर्स फंड में दान किए करोड़ो रूपए