नई दिल्ली: चद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग होने के उपरांत अब ISRO ने उसकी लोकेशन शेयर की है. चंद्रयान-3 अब 41 हजार 762 से अधिक की कक्षा में पृथ्वी के चारों ओर अंडाकार चक्कर लगा रहा है. ISRO वैज्ञानिक इसकी कक्षा से संबंधित डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं. ISRO ने बताया है कि चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की पहली ऑर्बिट मैन्यूवरिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली है, सीधे शब्दों में कहें तो उसकी पहली कक्षा बदल गई है. ISRO ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए बताया है कि चंद्रयान-3 की हेल्थ सामान्य है. 5 दिन इन लंबे ऑर्बिट में यात्रा करने के बाद यानी 5-6 अगस्त को चंद्रयान-3 लूनर ऑर्बिट इंसर्शन स्टेज में प्रवेश करेगा, इसके बाद चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन सिस्टम को ऑन किया जाएगा. उसे आगे की तरफ धकेला जाएगा. यानी चंद्रमा की 100 किलोमीटर की ऊपरी कक्षा में पहुंचाया जाएगा. 17 अगस्त को प्रोपल्शन सिस्टम चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर से अलग हो जाएगा. प्रोपल्शन मॉड्यूल के अलग होने के बाद लैंडर को चंद्रमा की 100X30 किमी की कक्षा में प्रवेश करेगा. इसके लिए डीबूस्टिंग करनी होगी, मतलब उसकी गति कम करनी पड़ेगी. ये काम 23 अगस्त को होगा. यहीं पर इसरो वैज्ञानिकों की सांसें थमी रहेंगी. क्योंकि ये होगा सबसे मुश्किल काम, इसके साथ ही शुरू होगी लैंडिंग की प्रकिया. इस बार विक्रम लैंडर के चारों पैरों की ताकत में इजाफा किया गया है. नए सेंसर्स लगाए गए हैं. नया सोलर पैनल लगाया गया है. पिछली दफा चंद्रयान-2 की लैंडिंग साइट का क्षेत्रफल 500 मीटर X 500 मीटर चुना गया था. ISRO विक्रम लैंडर को मध्य में उतारना चाहता था. जिसके चलते कुछ सीमाएं थीं. इस बार लैंडिंग का क्षेत्रफल 4 किमी x 2.5 किमी रखा गया है. इसका अर्थ है कि इतने बड़े इलाके में चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर उतर सकता है. स्वदेश लौटते ही पीएम मोदी ने LG सक्सेना को किया कॉल, दिल्ली बाढ़ पर ली अपडेट, दिए ये निर्देश समान नागरिक संहिता के समर्थन में उतरेगा पसमांदा समाज ? गाँव-गाँव जाकर भ्रम दूर करेगी भाजपा राजभर के NDA में जाने पर भड़के शिवपाल यादव, बोले - चुनाव में उनकी जमानत भी जब्त हो जाएगी