नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि गत वर्ष लॉकडाउन के दौरान तबलीगी जमात में शामिल हुए विदेशी लोगों को पनाह देकर कुछ भारतीय नागरिकों ने क्या जुर्म किया. साथ ही अदालत ने कोरोना गाइडलाइन का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने किसी शख्स के किसी विशेष स्थान पर कोई रोक नहीं लगाई थी. दरअसल, न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ तबलीगी जमात में शामिल हुए विदेशी लोगों को पनाह देने वाले नागरिकों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकियां रद्द करने की मांग की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस दौरान उन्होंने कहा कि, कोरोना महामारी के कारण लागू हुए लॉकडाउन के चलते जमातियों ने पनाह मांगी और उन पर आवागमन को प्रतिबंधित करने के आदेश का उल्लंघन करने का कोई आरोप नहीं है. न्यायमूर्ति मुक्ता ने कहा कि, अचानक लॉकडाउन लागू होने पर कोई कहां जा सकता है? यहां क्या अपराध हुआ है? क्या मध्य प्रदेश के निवासियों के दिल्ली की किसी मस्जिद, मंदिर या गुरुद्वारे में ठहरने पर कोई पाबंदी है. वे अपनी इच्छानुसार कहीं भी ठहर सकते हैं. क्या इस तरह का कोई नोटिस था कि जो भी (उनके साथ) रह रहा था, उसे हर कोई बाहर निकाल देगा. जस्टिस मुक्ता ने कहा कि, जब जगह बदलने का प्रश्न ही नहीं, तो उल्लंघन कहां है. खाद्य और सामग्री की बढ़ती कीमतों के कारण अक्टूबर में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि जारी हुए पेट्रोल-डीजल के दाम, जानिए आज का भाव राष्ट्रीय कुश्ती में वापसी पर गीता फोगाट ने जीता रजत