हमारे पूर्वज क्या खाते थे यह तो कोई भी शायद पक्के तौर पर नहीं बता पायेगा लेकिन इतना तो दावे के साथ कहा जा सकता हैं कि बात अगर पीने कि आये तो वो पानी तो जरूर पीते होंगे। आप सोच रहे होंगे कि यह कैसा सवाल है. दरअसल पानी ही एक ऐसी चीज है जिसे अगर आप खुद को पीने से रोकते हैं तो आप एक हफ्ते के भीतर मर जाएंगे। यह एकमात्र पोषक तत्व है जिनकी अनुपस्थिति बहुत कम समय में घातक साबित हो सकती है। अब पानी न पीने से क्या होता है यह तो सबको पता है लेकिन पानी कितना पीना चाहिए यह बात आश्चर्यजनक रूप से आज भी विवादास्पद है. यह तो आप लोगों में से भी कितने सारे लोगों ने सुना होगा कि चाहे प्यास हो या ना हो लेकिन दिन भर में 8 गिलास या करीबन 2 लीटर पानी तो जरूर पीना चाहिए। 2002 में, न्यू हैम्पशायर में डार्टमाउथ मेडिकल स्कूल के फिजियोलॉजिस्ट हेनज वाल्टिन ने इस सलाह के स्रोत को ढूंढने करने का प्रयास किया कि आखिर यह 8 ग्लास पानी पीने वाली बात आयी कहा से थी. यही ढूंढने के चक्कर में इस बात के सबसे निकटतम 1974 की एक किताब थी जिसने एक दिन में छह से आठ पेय पीने की सलाह दी थी. न सिर्फ पानी बल्कि सॉफ्ट ड्रिंक, कॉफी, चाय, दूध और बियर भी। लेकिन इस बात की वैज्ञानिक वैधता के लिए वाल्टन को कुछ भी नहीं मिला। दुनिया भर के स्वस्थ लोगों में से बहुत से लोग प्यास लगने को अपना गाइड बनाते हैं और जब प्यास लगती है तभी पानी पीते हैं और अपनी दैनिक हाइड्रेशन आवश्यकताओं को पर्याप्त रूप से पूरा करते हैं. ऐसा करने से उनके शरीर पर कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं पड़ता है इसलिए अभी भी यह बात विवाद का विषय बनी हुई है कि आखिर कितनी मात्रा में पानी पीना चाहिए। जानिए क्या है भूख न लगने का घरेलु उपचार जानिए क्या है दिल के दौरे का प्राथमिक उपचार स्किन के लिए फायदेमंद है लहसुन के छिलके