दशहरा : दशहरा कैसे मनाते हैं ?

जब भगवान राम ने त्रेतायुग में लंका के राजा रावण का वध किया था तो पूरी सृष्टि में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ था. रावण जैसे राक्षस के वध से हर कोई प्रसन्न हो उठा था. आगे चलकर इस दिन को विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाने लगा. भारतीय संस्कृति का यह प्रमुख त्यौहार है. अन्याय पर न्याय की जीत के रूप में इस त्यौहार को देखा जाता है.

कैसे मनाते हैं दशहरा ?

हिन्दू धर्म के कुछ प्रमुख त्यौहारों में दशहरा का स्थान भी आता है. दशहरा पूरे देश में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन रावण के पुतले को जलाए जाने का चलन बहुत अधिक है. जगह-जगह, गली-गली,मोहल्ले-मोहल्ले,शहर-शहर रावण के बड़े-छोटे पुतले जलाए जाते हैं और इस तरह से बुराई या अन्याय के प्रतीक का क्या हश्र होता है यह बताया जाता है. दशहरा या विजयादशमी के दिन रावण दहन के साथ ही और भी बहुत कुछ किया जाता है.

दशहरा या विजयादशमी के दिन भगवान श्रीराम की पूजा का विधान भी है. पूर्णतः यह त्यौहार श्री राम और रावण से ही संबंधित है. लोग इस दिन घरों की सजावट भी करते हैं. घर के दरवाजे और खिड़कियों को फूलों से सजाया जाता है. इसके साथ ही इस दिन शस्त्र पूजा और वाहन पूजा भी जोर-शोर से की जाती है. लोग इस दिन घर में रखे शस्त्रों को निकालकर उन्हें अच्छे से आफ करते हैं और फिर उनकी अच्छी तरह से पूजा की जाती है. जबकि वाहनों के साथ भी ऐसा ही किया जाता है. दशहरा के दिन वाहनों की पूजा की जाती है और वाहनों पर तिलक लगाने क साथ ही उन पर फूल या फूल माला चढ़ाई जाती है. बता दें कि इन प्रक्रिया के बाद ही दशहरे के दिन शाम के समय रावण के पुतले का दहन किया जाता है. इस तरह से यह त्यौहार पावनता के साथ संपन्न होता है. 

 

दशहरा : दशहरा क्यों मनाया जाता है ?

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