कैसे मनाई जाती है जन्माष्टमी, इस दिन क्या होता है ख़ास ?

भारत की पवित्र भूमि पर भगवान श्री कृष्ण द्वापरयुग में अवतरित हुए थे. श्री विष्णु के 8वें अवतार श्री कृष्ण है. श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को भारत में जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस त्यौहार का उत्साह भारत में देखने लायक होता है. जगह-जगह कृष्ण धुन सुनने को मिलती है. मटकी फोड़, माखन वितरण,भजन संध्या जैसे कई तरह के आयोजन देशभर में आयोजित किए जाते हैं. कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकाधीश, कान्हा, किशन जैसे नामों से पुकारे जाने वाले श्री कृष्ण की ख़्याति पूरी दुनिया में हैं. 

कैसे मनाते है जन्माष्टमी ?

जन्माष्टमी का पवित्र त्यौहार पूर्णतः भगवान श्री कृष्ण को समर्पित होता है. कई भक्त इस दिन भगवान के लिए व्रत भी रखते हैं. शास्त्रों में इस बात का उल्लेख आपको मिल जाएगा कि इस दिन रखा गया व्रत बहुत फलदायी होता है. सच्चे मन से रखे गए व्रत का फल भगवान श्री कृष्ण अपने भक्तों को अवश्य देते हैं. जन्माष्टमी के दिन सपरिवार भगवान को स्नान कराया जाता है और फिर भगवान को पालने में सुंदर वस्त्र पहनाकर विराजित किया जाता है. मुहूर्त में उचित समय में श्री कृष्ण का पूजन किया जाता है. श्री कृष्ण की आरती उतारी जाती है और फिर उन्हें माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है. इसके बाद प्रसाद को सभी में बाँट दिया जाता है.

मटकी फोड़ परंपरा

हमारे देश में जन्माष्टमी के दिन मटकी फोड़ का आयोजन भी किया जाता है. मटकी फोड़ आयोजन दो तरह का होता है. किसी एक जगह पर मटकी को उल्टा रखा जाता है और फिर आँखों पर पट्टी बांधकर लाठी से मटकी को फोड़ना होता है, वहीं जो प्रचलित मटकी फोड़ है उसमे मटकी को किसी उंचें स्थान पर बांध दिया जाता है. इसके बाद टोलियों की मदद से युवा एक-दूसरे के कंधे पर चढ़कर मटकी फोड़ते हैं. देशभर में यह आयोजन इस दिन चर्चा का विषय होता है. आपको बता दें कि भगवान श्री कृष्ण बाल्यावस्था में गोपियों के घर में चोरी-छिपे पहुंचकर मटकी फोड़ कर माखन खाया करते थे. इसी वजह से यह परंपरा आज प्रचलन में हैं. 

 

 

 

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