तलाक के मामलों में कैसे तय किया जाए गुजारा भत्ता? SC ने दिए ये निर्देश

नई दिल्ली: पूरे देश में इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला इन दिनों ख़बरों में बना हुआ है। अतुल सुभाष, जो एक निजी कंपनी में कार्यरत थे, ने अपनी जान लेने से पहले 80 मिनट का एक वीडियो रिकॉर्ड किया था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया एवं उसके परिवार पर कई गंभीर आरोप लगाए। इसके अतिरिक्त, उन्होंने अपने सुसाइड नोट में न्याय व्यवस्था की आलोचना की तथा अपने जीवन के आखिरी दिनों में जिन मुश्किलों का सामना किया, उनको विस्तार से बताया। इस मामले के पश्चात्, उनके खिलाफ उनकी पत्नी ने 9 मामले दर्ज किए थे, जिनकी सुनवाई कोर्ट में चल रही थी, तथा इस वजह से अतुल पर मानसिक दबाव बढ़ गया था। कोर्ट की ओर से निरंतर तारीखें दिए जाने और लंबी न्यायिक प्रक्रिया से वह बेहद परेशान हो गए थे।

वही अतुल सुभाष का मामला अब एक राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन चुका है, क्योंकि यह न सिर्फ एक व्यक्ति की दुखद मौत की घटना है, बल्कि यह समाज में घरेलू हिंसा, न्याय व्यवस्था की कार्यप्रणाली और भरण-पोषण के मुद्दे पर गहरी बहस को जन्म दे रहा है। इस बीच, सर्वोच्च न्यायालय ने गुजारा भत्ता राशि तय करने के लिए एक नया और विस्तृत आठ सूत्री फॉर्मूला पेश किया है, जिससे सभी संबंधित मामलों में न्यायिक निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

सुप्रीम कोर्ट का 8 सूत्री फॉर्मूला: सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस विक्रम नाथ एवं जस्टिस पीवी वराले की पीठ ने एक तलाक के मामले में फैसला सुनाते हुए एक स्पष्ट और समग्र दिशा-निर्देश जारी किया है, जिसे सभी देशभर की अदालतों में लागू करने की सलाह दी गई है। इस फॉर्मूले के तहत न्यायाधीश को पति-पत्नी के भरण-पोषण के मामलों में कई महत्वपूर्ण कारकों को ध्यान में रखते हुए फैसला लेने का निर्देश दिया गया है।

* पति-पत्नी की सामाजिक और आर्थिक स्थिति:  अदालत को यह विचार करना होगा कि दोनों पक्षों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति क्या है, जिससे वे एक दूसरे से उचित सहायता प्राप्त कर सकें।

* भविष्य में पत्नी और बच्चों की बुनियादी जरूरतें:  कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि पत्नी और बच्चों की भविष्य की जरूरतों को पूरा किया जा सके, जिससे उनका जीवन स्तर सुरक्षित रहे।

* दोनों पक्षों की योग्यता और रोजगार की स्थिति:  पति और पत्नी की शिक्षा, कौशल और रोजगार की स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा जिससे यह पता चल सके कि वे अपनी आर्थिक स्थिति को कैसे सुधार सकते हैं।

* आय और संपत्ति के साधन:  कोर्ट को दोनों पक्षों की आय और संपत्ति का जायजा लेना होगा जिससे यह तय किया जा सके कि किसे और कितना भरण-पोषण मिलना चाहिए।

* ससुराल में रहते हुए पत्नी का जीवन स्तर:  अदालत को यह देखना होगा कि पत्नी ने अपने ससुराल में किस प्रकार का जीवन स्तर अपनाया था और अब वह किस स्थिति में है।

* क्या पत्नी ने परिवार की देखभाल के लिए अपनी नौकरी छोड़ी है?:  यदि पत्नी ने परिवार की देखभाल के लिए अपनी नौकरी छोड़ी है, तो यह एक महत्वपूर्ण पहलू होगा, क्योंकि यह उसके आर्थिक और व्यक्तिगत संघर्ष को दर्शाता है।

* नौकरी न करने वाली पत्नी के लिए कानूनी लड़ाई के लिए उचित राशि:  यदि पत्नी काम नहीं कर रही है, तो उसे कानूनी लड़ाई लडने के लिए उचित वित्तीय सहायता की आवश्यकता होगी। अदालत को इसे भी ध्यान में रखना होगा।

* पति की आर्थिक स्थिति और अन्य जिम्मेदारियां:  अदालत को पति की आर्थिक स्थिति और अन्य जिम्मेदारियों, जैसे कि परिवार के भरण-पोषण और भरण-पोषण राशि के भुगतान की क्षमताओं को भी ध्यान में रखना होगा।

सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश: सर्वोच्च न्यायालय ने एक अहम आदेश में कहा था कि अलग रह रही पत्नी और बच्चों को भरण-पोषण देने के मामले में, यदि पति का व्यवसाय दिवालिया हो रहा है, तो इस राशि को उन दावों से पहले प्राथमिकता दी जाएगी जो उसकी कंपनी के लेनदारों ने दायर किए हैं। इस आदेश के माध्यम से कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि भरण-पोषण का अधिकार केवल कानूनी दायित्व नहीं है, बल्कि यह अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा और सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है। इसके अतिरिक्त, सर्वोच्च न्यायालय ने पति के इस तर्क को खारिज कर दिया कि वह अच्छी कमाई नहीं कर रहा है तथा उसकी फैक्ट्री घाटे में चल रही है। अदालत ने कहा कि यदि पति पत्नी को भरण-पोषण देने में असफल रहता है, तो फैमिली कोर्ट उसे दंडित कर सकती है, तथा आवश्यकता होने पर उसकी संपत्ति की नीलामी भी की जा सकती है।

क्या हैं अतुल सुभाष का मामला? 9 दिसंबर को प्रातः 6 बजे पुलिस को आत्महत्या की सूचना मिली। पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची, तो घर अंदर से बंद था। स्थानीय लोगों की मदद से दरवाजा तोड़ा गया तथा पाया गया कि अतुल ने नायलॉन की रस्सी का उपयोग करके बेडरूम में लगे सीलिंग फैन से फांसी लगाई थी। परिवार को खबर दी गई तथा अतुल के भाई विकास कुमार घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिस के अनुसार, अतुल ने 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उन्होंने अपनी शादी के पश्चात् के तनाव, पत्नी के खिलाफ दर्ज मामलों और उसके परिवार के सदस्यों द्वारा की गई प्रताड़ना के बारे में बताया है। इस नोट में अतुल ने यह भी बताया कि 2019 में उनकी शादी हुई थी तथा अगले साल उनका एक बेटा हुआ था। मगर उनके ससुरालवाले उन्हें बार-बार पैसे के लिए परेशान करते थे तथा लाखों रुपये की मांग करते थे। जब अतुल ने इन मांगों को पूरा करने से मना किया, तो उनकी पत्नी ने 2021 में बेटे के साथ घर छोड़ दिया। अतुल ने अपनी आत्महत्या से पहले यह सब सार्वजनिक किया, जिससे उनकी दुखभरी स्थिति और उनके द्वारा झेले गए मानसिक उत्पीड़न को समझा जा सके।

वही यह मामला अब न सिर्फ घरेलू हिंसा और न्याय व्यवस्था पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह उन लाखों लोगों के लिए एक चेतावनी भी है जो परिवारिक दबाव और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं।

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