भारत का बड़ा त्यौहार होली जिसका सभी को इन्तजार रहता है पर कुछ लोग इस रंगों के त्यौहार से परहेज करते है और कहीं हद तक इसे सेलिब्रेट करने से डरते भी है जिसकी वजह है इस कलरफुल फेस्टिवल में प्रयोग में लाया जाने वाला कलर जिसमे तमाम तरह के केमिकल प्रयोग में लाये जाते है जो कि इंसानो की स्कीन के लिए काफी नुकसान दायक होते है.और कई लोगो को इसके गंभीर परिणाम झेलने पड़ते है. केमिकल युक्त कलर के कारण बच्चे भी होली नहीं खेल पाते है. साथ ही वो लोग भी इस उमंग भरे त्यौहार से दूरी बनाए रखते है. जिन्हे स्कीन की बीमारी होती है उन्हें इन केमिकल वाले कलर्स के कारण होली नहीं मनाने का मलाल भी रहता है. लेकिन ऐसे लोग प्राकृतिक कलर से भी होली मना सकते है आइये जानते है प्राकृतिक कलर बनाने के तरीके घर पर ही आप आसानी से हर्बल होली का रंग बना सकते हैं. पीला रंग बनाने के लिए हल्दी को पानी में मिलाकर रंग बना सकते हैं. हल्दी या कसुरी हल्दी को उसके दुगुने मात्रा में बेसन के साथ मिलाकर पीले रंग का गुलाल भी बना सकते हैं. बेसन के जगह पर हल्दी को मुल्तानी मिट्टी के साथ मिला सकते हैं. दोनों त्वचा के लिए अच्छे होते है. या आप गेंदे के फूल को भी पीसकर पीला रंग बना सकते हैं. लाल रंग बनाने के लिए अनार के छिलके, टमाटर या गाजर को पीसकर रस बना सकते हैं. और उसको पानी में घोलकर अच्छी तरह से नेचुरल होली का लाल रंग बना सकते हैं. लाल रंग का गुलाल बनाने के लिए जपाकुसुम या गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर आटे के साथ मिलाकर गुलाल बना सकते हैं. या लाल चंदन के पावडर को भी आटे के साथ मिलाकर गुलाल बना सकते है. यह त्वचा के लिए भी बहुत लाभदायक होता है. काला रंग बनाने के लिए काले रंग के अंगूर के बीज को निकालकर अच्छी तरह से पीस लें फिर इसको पानी में अच्छी तरह से मिला लें. होली मनाने का पौराणिक कारण खुद को रखना हो सुरक्षित तो खेले प्राकृतिक रंगों से होली इस गांव में महिलाओं के अलावा कोई नहीं खेलता होली