कैसे और कहाँ हुआ था भगवान गणेश का जन्म ?

साल के 10 दिन पूर्णतः भगवान श्री गणेश को समर्पित होते हैं और ये दिन होते हैं गणेश चतुर्थी से लेकर गणेश चतुर्दशी तक के। इन 10 दिनों तक पूरा देश श्री गणेश के भक्ति रस में डूबा हुआ रहता है। 10 दिवसीय गणेशोत्सव का त्यौहार न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में अपनी एक ख़ास पहचान रखता है। लेकिन आपको साथ ही इस बात की जानकारी भी रखनी चाहिए कि भगवान श्री गणेश का जन्म कैसे और कहां हुआ था ?

श्री गणेश के जन्म के बारे में मान्यता

हिंदू धर्म में अहम स्थान रखने वाले श्री गणेश जी भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र है। गणेश जी के जन्म को लेकर मान्यता है कि श्री गणेश जी का जन्म उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के संगम चिट्टी से लगभग 23 किमी दूर डोडीताल के समीप हुआ था। यह मान्यता बेहद प्रचलित है कि यह वहीं स्थान है, जहां माता पार्वती स्नान हेतु आती थी। एक दिन माता पार्वती ने अपने उबटन से एक नन्हें बालक की प्रतिमा की रचना कर दी थी।  

माता पार्वती ने अपने उबटन से प्रतिमा की रचना करने के बाद उसमे प्राण डाल दिए थे। इस तरह से डोडीताल नामक स्थान पर भगवान गणेश की उत्पत्ति हुई और यह श्री गणेश का जन्म स्थान बन गया। इसका उल्लेख आपको स्कन्द पुराण के केदार खंड में मिल जाएगा। आज डोडीताल पर माता पार्वती का मंदिर बना हुआ हैं। भक्त यहां माता के पूजन के लिए आते हैं। 

माता पार्वती ने क्यों किया था उबटन की प्रतिमा का निर्माण 

उबटन से प्रतिमा निर्माण का सुझाव माता पार्वती को उनकी सखी जया और विजया ने दिया था। उन्होंने माता से कहा था कि भगवान शिव की आज्ञा का पालन नंदी आदि सभी गण करते हैं, वहीं आपकी मदद के लिए भी किसी को होना चाहिए। इसके बाद माता पार्वती के उबटन से श्री गणेश की उत्पत्ति हुई थी। 

 

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