पहले के समय में किस तरह होता था प्रेग्नेंसी टेस्ट...?

आज के समय में अगर किसी महिला को अपनी प्रेग्नेंसी का पता लगाना हो, तो उसके पास डॉक्टरी जांच और प्रेग्नेंसी किट जैसे कई विकल्प होते हैं। ये किट गर्भावस्था का पता लगाने में बेहद सरल और सटीक होती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पहले के जमाने में, जब न प्रेग्नेंसी किट होती थीं और न कोई मशीन, तब महिलाएं गर्भावस्था का पता कैसे लगाती थीं? आइए जानते हैं।

प्राचीन तरीकों से प्रेग्नेंसी का पता 1. गेहूं और जौ का उपयोग

प्राचीन मिस्र और रोम में महिलाएं अपने मूत्र का परीक्षण करके गर्भावस्था का पता लगाती थीं। वे अपने मूत्र में गेहूं और जौ के बीज डालती थीं। अगर गेहूं उगता था, तो इसका मतलब होता कि महिला गर्भवती नहीं है, जबकि अगर जौ उगता था, तो इसका मतलब होता कि महिला गर्भवती है। यह एक प्रकार का पुराना और अनौपचारिक परीक्षण था।

2. पल्स परीक्षण

पुराने चीन में गर्भावस्था का पता लगाने के लिए पल्स परीक्षण का उपयोग किया जाता था। इस विधि में एक प्रशिक्षित व्यक्ति महिला की कलाई पर पल्स को महसूस करके गर्भावस्था का अनुमान लगाता था। यह तरीका भी काफी प्रचलित था, हालांकि यह विज्ञान पर आधारित नहीं था।

3. शारीरिक बदलाव

महिलाएं अपने शरीर में होने वाले बदलावों के माध्यम से भी गर्भावस्था का अनुमान लगाती थीं। जैसे कि मासिक धर्म का बंद होना, उल्टी, थकान, और स्तनों में बदलाव। ये सभी लक्षण गर्भवती होने की संभावनाओं का संकेत देते थे।

भारत में पारंपरिक तरीके

भारत में भी प्रेग्नेंसी का पता लगाने के कई पारंपरिक तरीके थे।

यूरीन में गुड़ मिलाना: एक तरीका यह था कि यदि किसी महिला का यूरीन गुड़ के साथ मिलाने पर उसमें झाग आता था, तो इसका मतलब था कि वह गर्भवती है। अगर ऐसा नहीं होता था, तो महिला गर्भवती नहीं होती थी।

हल्दी का उपयोग: इसके अलावा, हल्दी को महिला के मूत्र में मिलाकर उसके रंग में बदलाव देखकर भी गर्भावस्था का अनुमान लगाया जाता था। यदि हल्दी का रंग बदलता था, तो इसे गर्भावस्था का संकेत माना जाता था।

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ: कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का उपयोग भी गर्भावस्था के पता लगाने के लिए किया जाता था।

प्रेग्नेंसी टेस्ट किट का आविष्कार

20वीं सदी में प्रेग्नेंसी टेस्ट किट का आविष्कार हुआ। इन किटों ने प्रेग्नेंसी का पता लगाने की प्रक्रिया को बेहद सरल और सटीक बना दिया। ये किट महिला के यूरीन में HCG हार्मोन की उपस्थिति का पता लगाती हैं, जो गर्भावस्था के दौरान ही पैदा होता है। इससे महिलाओं को अपने प्रेग्नेंट होने की पुष्टि करने में मदद मिलती है और उन्हें उचित चिकित्सा सलाह लेने का मौका भी मिलता है।​ इस प्रकार, पहले के समय में गर्भावस्था का पता लगाने के लिए कई अनौपचारिक और पारंपरिक तरीके अपनाए जाते थे, जबकि आज के समय में यह प्रक्रिया बहुत ही आसान और वैज्ञानिक हो गई है। प्रेग्नेंसी किट की मदद से महिलाएं अपने गर्भवती होने का पता आसानी से लगा सकती हैं और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले सकती हैं।

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