नई दिल्ली: अक्सर भारत में बेरोज़गारी को लेकर सियासी घमासान मचा रहता है। विपक्ष में चाहे जो भी पार्टी हो, वो सत्ता पक्ष पर बेरोज़गारी बढ़ाने के आरोप लगाती भी रहती है। वैसे एक तथ्य ये भी है कि, जनसँख्या बढ़ने के अनुपात में उसी रफ़्तार से रोज़गार को भी बढ़ाते जाना, हर सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होती है। कई रिपोर्ट्स भी ऐसी आती हैं, जिसमे बेरोज़गारी दर बेहद बढ़ी हुई दिखाई जाती हैं, हालाँकि वे रिपोर्ट्स गलत नहीं होती, लेकिन उनमे सम्यक रोज़गार को शामिल नहीं किया जाता. अधिकतर रिपोर्ट्स सिर्फ सरकारी नौकरियों को ही रोज़गार के रूप में देखती हैं, जबकि किराने की दूकान से लेकर, ट्रांसपोर्ट, रेस्टॉरेंट, कोचिंग क्लासेज जैसे कई लघु उद्योग भी रोज़गार की श्रेणी में ही आते हैं. अब भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने इस संबंध में एक रिपोर्ट जारी की है. RBI का कहना है कि, वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की अर्थव्यवस्था ने लगभग 47 मिलियन (4.70 करोड़) नए रोजगार सृजित किए। इस उछाल ने देश में कुल रोजगार प्राप्त व्यक्तियों की संख्या को 643 मिलियन (64 करोड़ से अधिक) से अधिक कर दिया है। औसतन, भारत ने हाल के वर्षों में सालाना लगभग 2 करोड़ रोजगार सृजित किए हैं। यह डेटा हाल ही में आई सिटीबैंक की एक रिपोर्ट को चुनौती देता है, जिसमें भविष्यवाणी की गई थी कि भारत अपनी 7% विकास दर के बावजूद पर्याप्त रोजगार सृजित नहीं कर पाएगा। RBI के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के बीच सृजित नौकरियों की सटीक संख्या 46,659,221 थी, जिससे 2022-23 में 596.6 मिलियन से 2023-24 में 643.3 मिलियन रोजगार में वृद्धि हुई, जो 6% की जबरदस्त वृद्धि को दर्शाता है। बता दें कि यह आरबीआई ने अपनी वेबसाइट पर 'उद्योग स्तर पर उत्पादकता मापना-भारत KLEMS [कैपिटल (K), लेबर (L), एनर्जी (E), मटेरियल (M) और सर्विस (S)] डेटाबेस' पर एक अद्यतन जानकारी डाली है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2017-18 से भारत में रोजगार सृजन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। 2017-18 से 2021-22 तक, भारत ने कोविड-19 महामारी जैसी बाधाओं के बावजूद, 80 मिलियन (8 करोड़) से अधिक नौकरियाँ सृजित कीं, यानी सालाना औसतन 20 मिलियन (2 करोड़) नई नौकरियाँ। इससे पहले हाल ही में सिटीबैंक की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत आने वाले वर्षों में अपनी आबादी के लिए आवश्यक रोज़गार सृजित करने के लिए संघर्ष करेगा। सिटीबैंक ने अनुमान लगाया था कि 7% की शानदार विकास दर के बावजूद, भारत सालाना केवल 8-9 मिलियन नौकरियाँ ही सृजित कर पाएगा, जो कि रोज़गार बाज़ार में नए प्रवेशकों को समायोजित करने के लिए प्रति वर्ष आवश्यक 12 मिलियन नौकरियों से कम है। हालाँकि, RBI के डेटा इसका खंडन करते हैं, यह दिखाते हुए कि भारत ने वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के दौर में भी लगातार औसतन 20 मिलियन नौकरियाँ सृजित की हैं। इससे पता चलता है कि सिटीबैंक के अनुमान गलत हो सकते हैं। बता दें कि, RBI के KLEMS ने अपने डेटाबेस में संपूर्ण भारतीय अर्थव्यवस्था को शामिल करने वाले 27 उद्योगों को शामिल किया गया है। डेटाबेस व्यापक क्षेत्रीय स्तरों (कृषि, विनिर्माण और सेवाएं) और अखिल भारतीय स्तर पर भी ये अनुमान प्रदान करता है। इसमें डेटा मैनुअल 2024 और 1980-81 से 2022-23 की अवधि को कवर करते हुए 27 उद्योगों के लिए उत्पादकता पर समय-श्रृंखला डेटा शामिल है। कृषि, शिकार, वानिकी और मछली पकड़ने के क्षेत्र में 25.3 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है, जो 2021-22 में 24.82 करोड़ से अधिक है। निर्माण, व्यापार और परिवहन और भंडारण प्रमुख रोजगार प्रदाता क्षेत्रों में से थे। बता दें कि, 2014 में भारत में एयरपोर्ट की संख्या 74 थी, जो बीते 10 वर्षों में 148 यानी दुगुनी हो गई है. नेशनल हाईवे का नेटवर्क 91 हज़ार किमी था, जो आज लगभग डेढ़ लाख किमी है. 2014 में 7 AIIMS थे, आज 23 हैं, कुछ का निर्माण कार्य जारी है. मेडिकल कॉलेज 387 थे, जो आज बढ़कर 704 हो चुके हैं. इसके अलावा 7 नए IIM, 16 नए IIT, 7 आईआईएम और 390 विश्वविद्यालय भी बनाए गए हैं, इसके अलावा टनल, दुनिया की सबसे ऊँची एयरफील्ड समेत काफी चीज़ों का निर्माण हुआ है. अब इन्हे बनाने वालों से लेकर, माल सप्लाई करने वालों, यहाँ काम करने वालों या इससे जुड़कर काम करने वालों को रोज़गार मिला ही होगा. इस तरह से देखा जाए, तो RBI की रिपोर्ट सही प्रतीत होती है. शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की वीरवधू पर अमजद-अहमद ने कर दिया भद्दा कमेंट, महिला आयोग ने की गिरफ़्तारी की मांग, 3 दिन में मांगी रिपोर्ट SC/ST फंड में से 14000 करोड़ निकालेगी कांग्रेस सरकार ! चुनावी गारंटियां पूरा करने के लिए पैसा नहीं, केंद्र से भी माँगा पैकेज महंगा होगा रसोई का जायका, मौसम की मार से प्याज-टमाटर सहित कई सब्जियों के दाम बढ़े