दुनिया में महामारी कोरोना वैक्‍सीन को लेकर शुरू हुई दौड़ अब तेज हो गई है. विकसित और अमीर देश इसकी एडवांस्‍ट बुकिंग भी करने लगे हैं जिससे ये उनके नागरिकों को मुहैया करवाई जा सके. लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा सवाल ये भी खड़ा हो गया हे कि क्‍या विकासशील देशों को इस जानलेवा वायरस की वैक्‍सीन ये महामारी खत्‍म होने से पहले मिल पाएगी. जून की शुरुआत में ही संयुक्‍त राष्‍ट्र, इंटरनेशनल रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट समेत दूसरे संगठनों कहा था कि ये बेहद जरूरी है कि इस वैक्‍सीन सभी को उपलब्‍ध हो सके. लेकिन साझातौर पर दिए गए गए इस तरह के बयान तब तक अव्‍यवहारिक हैं, जब वैक्‍सीन के आवंटन की कोई रणनीति तैयार नहीं की जाती. ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन की कार का एक्सीडेंट, बाल-बाल बचे प्रधानमंत्री इस मामले को लेकर जिनेवा में सीनियर लीगल एंड पॉलिसी एडवाइजर युआन क्‍वांग हू के मुताबिक सभी को दवा उपलब्‍ध कराने की जो एक तस्‍वीर बनाई गई है वो बेहद शानदार है लेकिन बिना रोडमैप के इसको कैसे किया जा सकता है. उनके मुताबिक वैक्‍सीन के डिस्‍ट्रीब्‍यूशन से जुड़ी इस बड़ी समस्‍या को सुलझाने के लिए कुछ उपाय करने जरूरी हैं. वही, कंपनी इस महामारी की दवा बनाने के हर चरण का पेटेंट हासिल करने के लिए आवेदन कर चुकी हैं. इसमें इसके इस्‍तेमाल में आने वाले बायलॉजिकल मेटेरियल जैसे सेल्‍स लाइंस, इनको प्रिजर्व करने में इस्‍तेमाल आने वाली तकनीक तक शामिल है. ऐसे में वैक्सीन बनाने के निजी अधिकारों की इन परतों का सामना कर पाना मुश्किल है. भारत के UNSC सदस्य बनने पर अमेरिका ने दिया बड़ा बयान, पाक-चीन को लगी मिर्ची आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वैक्‍सीन को लेकर हुए एक सम्‍मेलन के दौरान घाना के राष्‍ट्रपति नाना अकूफो एडो भी उनकी इस बात से सहमत थे. उनका कहना था कि ये किसी एक देश की समस्‍या नहीं है और न ही इसका खर्च कोई एक देश अकेले ही उठा सकता है. कोविड 19 ने बता दिया है कि वो देशों की सीमाओं को नहीं मानता है. दवाई विकसित होने के बाद इसका सही डिस्‍ट्रीब्‍यूशन ही मानवता की सच्‍ची सेवा और उसकी रक्षा होगी. भारत-चीन विवाद पर रूस ने तोड़ी चुप्पी, दिया बड़ा बयान नेपाल के उच्च सदन ने नए नक़्शे को दी हरी झंडी, MAP में कुछ भारतीय भूभाग शामिल चौतरफा घिरा ड्रैगन, अब जापान ने भी चीन से सटी बॉर्डर पर तैनात की मिसाइल