कोरोना वायरस को समाप्त करने के लिए दुनिया भर के लोग और सरकारें जो रास्ता चुनेंगे वह आने वाले सालों में हमारी दुनिया को बदल देगा. यह मानना है बाइ सेपियन्स- ए ब्रीफ़ हिस्ट्री ऑफ हम्यूमनकाइंड के लेखक इतिहासकार युवाल नोआह हरारी का. इस महामारी के बाद किस तरह का समाज उभरेगा? क्या दुनिया के देशों में आपसी एकजुटता बढ़ेगी या एक दूसरे से दूरी बढ़ेगी? अंकुश लगाने और निगरानी रखने के तौर तरीक़ों से नागरिकों को बचाया जाएगा या उनका उत्पीड़न होगा? कोरोना संकट के बीच मेरठ में हो रही बाजार खोलने की तैयारी अपने बयान में हरारी ने कहा कि, "संकट ऐसा है कि हमें कुछ बड़े फ़ैसले लेने होंगे. ये फ़ैसले भी तेजी से लेने होंगे. लेकिन हमारे पास विकल्प मौजूद है. वही, यह बात हम सब को मालूम हो चुकी है कि हाथ धोते रहने और सोशल डिस्टेंसिंग से वायरस के संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट से योगी सरकार को बड़ी राहत, यूपी में होगी 69000 शिक्षकों की भर्ती इसके अलावा हरारी ने कहा कि, "हमारे पास दो अहम विकल्प हो सकते हैं- इस संकट का सामना हम राष्ट्रवादी अलगाव से करेंगे या फिर फिर वैश्विक साझेदारी और एकजुटता प्रदर्शित करते हुए करेंगे. साथ ही, उन्होने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र के स्तर पर भी हमारे सामने विकल्प मौजूद हैं. जिसमें संपन्न केंद्रीकृत निगरानी व्यवस्था (पूरी तरह सर्विलेंस व्यवस्था) और सामजिक एकजुटता वाले नागरिक सशक्तीकरण व्यवस्था में से किसी एक को चुनना है. रायपुर-बिलासपुर NH पर बड़ा हादसा, ट्रक में जा घुसी मजदूरों से भरी बस 25 मई से शुरू हो रही हैं डोमेस्टिक फ्लाइट्स, उड्डयन मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन भारत में लॉन्च हुआ यह शानदार फीचर्स वाला स्मार्टफोन