जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर के पिंजरापोल गौशाला में गाय के गोबर से दीपक बनाए जा रहे हैं, जिसमें ग्रामीण महिलाओं का योगदान है। यहां महिला स्वयं सहायता समूह की ग्रामीण महिलाएं देसी गाय के गोबर से सुंदर और रंग-बिरंगे दीपक बना रही हैं। ये दीपक न केवल जयपुर बल्कि भारत के विभिन्न राज्यों में लोकप्रिय हो रहे हैं। इसके साथ ही, इनकी मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ी है, जहां अमेरिका और मॉरीशस सहित कई देशों में भारतीय समुदाय वैदिक परंपरा के अनुसार इन दीपकों से दिवाली का पर्व मना रहे हैं। गौशाला में लगभग 10 महिलाएं रोजाना 8,000 दीये तैयार करती हैं। इन दीपकों की बनावट में गोबर के साथ अन्य प्राकृतिक सामग्री जैसे जन्मांगम, जटामास, मिट्टी और तेल का उपयोग किया जाता है। इन पर आकर्षक लाल और सुनहरे रंग का भी इस्तेमाल होता है, क्योंकि लाल रंग को शुभ माना जाता है। इनकी कीमत भी चाइनीज लाइट्स के मुकाबले कम रहती है, जिससे लोग इन्हें अधिक पसंद कर रहे हैं।गोबर के दीपक न केवल सुंदर हैं, बल्कि जैविक खेती के प्रति किसानों को जागरूक भी कर रहे हैं। ये दीपक ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों ही तरह से भारतीय बाजारों में उपलब्ध हैं। इस बार अकेले अमेरिका से 10 लाख दीपकों का ऑर्डर मिला है। इस पहल के कोऑर्डिनेटर दिव्यांशी और अंकित आचार्य का मानना है कि इस दिवाली पर चाइनीज लाइट्स की बजाय भारतीय परंपरा के अनुसार गोबर से बने दीपकों का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि वेदों में गाय के गोबर को मां लक्ष्मी का निवास बताया गया है। पिंजरापोल गौशाला में करीब 5,000 गायें हैं, जिनके गोबर से दीपक बनाकर स्थानीय महिलाओं को रोजगार प्रदान किया जा रहा है। इस प्रयास के जरिए महिलाओं को सशक्त बनाया जा रहा है और गौशाला के माध्यम से गाय को ‘राष्ट्र माता’ घोषित करने की मांग भी उठाई जा रही है। जवानों संग दिवाली..! कच्छ पहुंचे प्रधानमंत्री, राजनाथ सिंह तवांग में मनाएंगे त्यौहार उत्तर भारत के लिए ठंड लेकर आएगी दिवाली..! जानिए आपके राज्य के मौसम का हाल 'ऐसा समय आने वाला है..', सीएम योगी की तारीफ कर क्या बोले बृजभूषण सिंह?