तेलंगाना और राजस्थान में भी शुक्रवार को वोटिंग प्रक्रिया समाप्त हुई है. वोट देते समय हर दूसरे इंसान के मन में ये सवाल तो आता ही है कि आखिर वोट देने के बाद उसकी उंगली पर जो स्याही लगाई जाती है, आखिर वो आती कहां से है? शायद आपके मन में भी कभी ना कभी तो ये सवाल आया ही होगा लेकिन आपको इसका जवाब नहीं मिल पाया होगा. तो चलिए हम आपको आज आपके इस सवाल का जवाब दे ही देते हैं. सूत्रों की माने तो मतदान के समय इस्तेमाल किये जाने वाले यह स्याही पूरे देश में केवल दो कंपनियां बनाती हैं. पहली है हैदराबाद के रायडू लैब्स और दूसरी मैसूर के मैसूर पेंट्स एण्ड वॉर्निश लिमिटेड. इन दोनों ही कंपनियों में इस स्याही को बनाया जाता है. आपको बता दे यहीं से इस स्याही को पूरे देश में सप्लाई किया जाता है. सबसे ज्यादा दिलचस्प बात तो यह है कि इस स्याही को विदेशों में भी प्रयोग किया जाता है. जी हाँ... सुनने में तो ये भी आया है कि जिस समय इन दोनों कंपनियों में स्याही बनाई जाती है, उस दौरान स्टाफ और अधिकारियों के अलावा किसी को परिसर में जाने की इजाजत नहीं है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दोनों ही कंपनियों में हर दिन करीब 25 हजार से 30 हजार बोतलें बनती हैं. जानकारी के मुताबिक स्याही में सिल्वर नाइट्रेट होता है और इसी की वजह से वह ऐसा निशान छोड़ती है जो जल्दी मिट नहीं पाती है. सुनने में ये भी आया है कि हैदराबाद में जिस स्याही का निर्माण होता है तो उसे अफ्रीका, मोजांबीक और जांबिया जैसे देशों में भेजा जाता है. लेकिन मैसूर में जिस स्याही का निर्माण होता है उसे यूके, मलेशिया, टर्की, डेनमार्क और पाकिस्तान समेत 28 देशों में भेजा जाता है. सोनिया गाँधी के दामाद वाड्रा के तीन ठिकानों पर ईडी का छापा रावी नदी पर बांध बनाने के मोदी सरकार ने दी हरी झंडी सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया : 1500 पदों पर छप्पड़फाड़ वैकेंसी, 12वीं पास के लिए स्वर्णिम अवसर