हैदराबाद : हैदराबाद यूनिवर्सिटी में एक छात्र द्वारा आत्महत्या कर लेने के बाद से ही हंगामा मचा हुुआ है। दरअसल 22 साल के एक रिसर्च स्कॉलर वेरमूला रोहित को दो सप्ताह पहले ही हॉस्टल से खदेड़ कर बाहर निकाला गया था, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि उसने उसी हॉस्टल में खुदकुशी कर ली। छात्रों का एक दल रात भर रोहित के मृत शरीर को लेकर धरने पर बैठा रहा। इन छात्रो ने कॉलेज प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और प्रशासन से मांग की कि उनकी बात सुनी जाए। तड़के सुबह पुलिस कैंपस में पहुंची औैर 8 छात्रों को हिरासत में ले लिया। साथ ही पुलिस छात्र के शव को भी साथ ले गई। रोहित गुंटूर का रहने वाला था और सोशियोलॉजी में पीएचडी कर रहा था। यूनिवर्सिटी से निकाले जाने के बाद से वो कैंपस के बाहर तंबू तानकर रह रहा था। उसके साथ 4 और छात्र भी तंबू में रहने को मजबूर थे। उन पर भी हॉस्टल में घुसने को लेकर प्रतिबंध लगाया गया था। आंबेडकर यूनियन के सदस्यों का आरोप था कि इन पांचो छात्रों ने अखिल भारतीय विद्दार्थी परिषद् के एक कार्यकर्ता पर हमला किया है। बता दें कि कॉलेज प्रशासन ने प्राथमिक जांच में इन पांचो छात्रों को निर्दोष करार दिया था। लेकिन इसके बाद केंद्रीय मंत्री बंदारु दत्तात्रेय ने 17 अगस्त को शिक्षा मंत्री स्मृति इरानी को चिठ्ठी लिखी तो यूनिवर्सिटी ने अपना फैसला बदल दिया। पत्र में यूनिवर्सिटी पर आरोप था कि वो एक छात्र पर हमले को खामोशी से देखता रहा। यूनिवर्सिटी को अतिवादियों, जातिवादियों औऱ राष्ट्रविरोधी राजनीति का गढ़ तक कहा गया। 21 दिसंबर को इन पांच स्टूडेंट्स को कथित तौर पर हॉस्टल में घुसने से प्रतिबंधित कर दिया गया। साथ ही उन्हें मेस, लाइब्रेरी और कई दूसरे कॉमन एरियाज़ में घुसने से भी बैन कर दिया गया। रोहिुत के साथी वेंकेट ने बताया कि वो इस बात से परेशान था कि वीसी ने उसका निवेदन भी नजरअंदाज कर दिया। रोहित ने वेंकेट को बताया था कि जो दलित प्रोफेसर हमसे मिलने आए थे, वो भी वीसी को ही सपोर्ट कर रहे है। इसी के कुछ घंटे बाद वो हॉस्टल के कमरे में गया और फांसी लगा ली। इसके बाद से ही छात्र वहां प्रदर्शन कर रहे है। गुस्साए छात्रों ने मीडिया को भी दौड़ा दिया। कई छात्र संगों ने बंद का आह्वान किया है। पुलिस आयुक्त का कहना है कि फिलहाल स्थिति काबू में है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।