नई दिल्ली: दिनों दिन बढ़ते जा रहे प्रदूषण के कारण एक ओर खेती का रकबा सिकुड़ रहा है तो दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन से भी फसल उत्पादन में चुनौतियां उभर रही हैं. इनसे निपटने और फसलों की बेहतर पैदावार के लिए हाइड्रोपोनिक खेती किसानों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है. हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आइएचबीटी), पालमपुर में विशेषज्ञों ने यह बात हाइड्रोपोनिक खेती पर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कही है. बिना मिट्टी के उगाए जाते हैं पौधे: शोधकर्ताओं का कहना है कि हाइड्रोपोनिक खेती की एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें नियंत्रित जलवायु में बिना मिट्टी के पौधे उगाए जाते हैं. इस पद्धति में मिट्टी के बजाय सिर्फ पानी या फिर बालू अथवा कंकड़ों के बीच पौधों की खेती की जाती है. नियंत्रित परिस्थितियों में 15 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर लगभग 80 से 85 फीसद आर्द्रता में हाइड्रोपोनिक खेती की जाती है. विशेष घोल का होता है इस्‍तेमाल: वहीं इस बात का पता लगाया गया है कि आइएचबीटी के वैज्ञानिक डॉ. भव्य भार्गव ने देश के विभिन्न हिस्सों से आए किसानों को बताया कि हाइड्रोपोनिक पद्धति में पौधों को पोषण उपलब्ध कराने के लिए जरूरी पोषक तत्व एवं खनिज पदार्थों से युक्त एक विशेष घोल का उपयोग किया जाता है. इस घोल में फास्फोरस, नाइट्रोजन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटाश, जिंक, सल्फर और आयरन जैसे तत्वों को खास अनुपात में मिलाया जाता है. एक निश्चित अंतराल के बाद इस घोल की एक निर्धारित मात्र का उपयोग पौधों को पोषण देने के लिए किया जाता है. CAA: योगी सरकार पर अखिलेश यादव का तीखा प्रहार, कहा- मुख्यमंत्री की भाषा के कारण गई लोगों की जान पिता के अंतिम संस्कार के लिए खरीदारी कर रहा था पुत्र, हादसे में हो गई मौत जबलपुर में भीषण सड़क हादसा, बस-ट्रक की भिड़ंत में 6 लोगों की दर्दनाक मौत