'मैं मर्द हूं, यहीं सुधार दूंगा...', कमलनाथ की चिट्ठी पर बोले पूर्व विधायक राज नारायण

खंडवा: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर उम्मीदवारों की किस्मत EVM में कैद हो गई है तथा अब सभी को मतगणना और उसके पश्चात् आने वाले परिणामों की प्रतीक्षा है, मगर इसी बीच राजनीतिक रस्साकसी तथा विवादित चुनावी बयानबाजी का दौर भी जारी है। मंगलवार को राज्य के खंडवा में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं पूर्व MLA राज नारायण सिंह ने ऐसा ही एक विवादित बयान दे डाला। उन्होंने कहा कि वे मर्द हैं तथा हमेशा से उनकी न सुनने वाले अफसरों के ट्रांसफर के खिलाफ रहे हैं, यही नहीं बल्कि वे ऐसे अफसर कर्मचारियों को स्वयं ही सुधारना भी जानते हैं।

खंडवा की मांधाता विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार उत्तम पाल सिंह के पिता एवं क्षेत्र के पूर्व MLA राज नारायण सिंह मंगलवार को जिला मुख्यालय खंडवा में थे। इस के चलते उन्होंने मीडिया से भी चर्चा की तथा जब मीडिया ने उनसे मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के चुनाव संपन्न होने के पश्चात समस्त उम्मीदवारों को भेजे गए पत्र के बारे में पूछा, जिसमें कमलनाथ ने सभी उम्मीदवारों से पूछा है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में जिन अफसर कर्मचारियों ने कथित तौर पर बीजेपी के एजेंट के तौर पर काम किया है, ऐसे अफसर कर्मचारी की सूची सौंपी जाए, जिससे आने वाले वक़्त में उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए, तब पूर्व MLA राज नारायण सिंह ने उस पत्र पर कुछ ऐसा जवाब दिया जो कि चौंकाने वाला था। उन्होंने कहा कि मुझे किसी अफसर कर्मचारी के ट्रांसफर की जरुरत नहीं है। मैं मर्द हूं, खुद ही निपटने में सक्षम हूं। हालांकि पूर्व MLA के पुत्र और कांग्रेस उम्मीदवार उत्तम पाल ने चुनाव के बाद मीडिया के सामने अफसर कर्मचारियों पर दबाव में कार्य करने का आरोप लगाया था तथा अब उनके पिता ने यह विवादित बयान दे डाला।

जिला मुख्यालय पहुंचे कांग्रेस उम्मीदवार के पुत्र एवं पूर्व MLA ठाकुर राज नारायण सिंह ने PCC प्रमुख कमलनाथ के भेजे गए पत्र के सिलसिले में मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि राज नारायण सिंह मर्द नेता हैं तथा राज नारायण सिंह जिंदगी में ट्रांसफर के खिलाफ आदमी है। कोई कितना ही खराब हो, उसको यहीं सुधार सकता है। हालांकि जब उनसे पूछा गया कि आपने कमलनाथ जी के पत्र के जवाब में यही जवाब कमलनाथ को भी दिया है, तब उन्होंने इस सवाल को टालते हुए कहा कि, नहीं मैं यह जवाब कमलनाथ जी को क्यों दूंगा, क्योंकि मैं स्वयं तो कोई चुनाव लड़ा नहीं हूं। हालांकि इसके पश्चात्  एक बार फिर से अपनी दबंगता दिखाते हुए उन्होंने कहा कि आप मेरा इतिहास उठा कर देख लो, मैंने कभी ट्रांसफर की चिट्ठियां नहीं लिखी। यह कोई औचित्य ही नहीं होता तथा यह काम सरकार का है, प्रशासन का है, यह कोई हमारा काम थोड़े ही है।

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