मैं कौन हूँ ? ये तो आप सभी जानते है मेरे अनेको नाम है मुझे लोग जानू, बाबू, शोना, तो नहीं लेकिन रंडी, धंधेवाली, पतुरिया, वेश्या इन सभी नामो से पुकारते है। मैं लोगो की नजरों में उनकी पत्नी, उनकी गर्लफ्रेंड यहाँ तक की उनकी माँ से भी ज्यादा खूबसूरत हूँ। ये मैं नहीं कह रहीं ऐसा मुझे लोग कहते है तब जब रात के अंधरे में जब उन्हें मेरी जरूरत होती है। लोग मेरे पास आते है अपनी हवस की भूख मिटाने। और पूरी रात वो मुझे रौंद कर चले जाते है। उनके लिए मैं जरिया हूँ जो उनकी हवस को शांत करती हूँ। उनके लिए मैं सिर्फ एक खिलौना हूँ जिससे वो दिन में, रात में, दोपहर में कभी भी कहीं भी खेल लेते है। कई बार तो मुझे बड़ी बड़ी हवेलियों, बंगलों, घरों में भी जाना पड़ता है अपना मुँह छुपाकर क्योंकि अगर वे बड़े बड़े लोग मेरे बाजार में आएँगे तो उनकी इज्जत खराब हो जाएगी, मेरा क्या है साहब मैं तो धंधेवाली हूँ मेरी तो कोई इज्जत है ही नहीं। जब लोग रात में मेरे पास आते है तब वे सुबह की धुप से पहले ही भाग जाते है क्योंकि वो नहीं चाहते की उनकी बदनामी हो, क्योंकि वो नहीं चाहते की उन्हें कोई मेरे साथ देखे, क्योंकि वो नहीं चाहते की लोग मेरे साथ उनका नाम जोड़े, क्योंकि वो नहीं चाहते की उनका नाम और इज्जत खराब हो। लेकिन साहब मैं भी तो यह नहीं चाहती ना की मेरा नाम खराब हो ,मैं भी तो यह नहीं चाहती की कोई मुझे धंधेवाली कहे। जब मेरे पास आने वालों को इज्जत की नजरों से देखा जाता है तो मुझे क्यों नहीं। जब वो इज्जतदार इंसान है तो मैं क्यों नहीं। अगर उन पर कोई लांछन नहीं लगाया गया तो मुझपर क्यों ?? मैं भी तो बदनाम नहीं होना चाहती। आज मैं अपने बारे में आपको बहुत कुछ बताना चाहती हूँ, क्योंकि आप मेरे बारे में कुछ नहीं जानते। मैं जानती हूँ की मेरी वजह से अब तक आपकी बेटी घर में सुरक्षित है, मैं जानती हूँ मेरी वजह से अब तक आपकी पत्नी, आपकी माँ की इज्जत पर कोई आंच नहीं आई। मैं जानती हूँ की मेरी ही बदौलत अब तक आप इज्जतदार है। लेकिन शायद इन बातों से आप वाकिफ नहीं है आप कुछ नहीं जानते। आइए मैं आपको बताती हूँ की मेरी वजह से आखिर कैसे ??? मेरे खरीददार - मेरे खरीददारों की लाइन में सिर्फ जवान या बूढ़े मर्द ही नहीं बल्कि बच्चे भी आते है और वो सिर्फ गरीब नहीं बल्कि अमीर से अमीर लोग होते है। कुछ पुलिस अफसर होते है तो कुछ राजनेता, कुछ इंजिनियर होते है तो कुछ टीचर, कुछ वकील तो कुछ जज, कुछ मंदिर के पुजारी तो कुछ मस्जिद के मौलवी। मेरे पास हर तरह के खरीददार आते है ये सब मुझे पैसे देते है क्योंकि एक रात के लिए मैं इन्हे मेरा जिस्म देती हूँ। इन सभी को समाज कुछ नहीं कहता क्योंकि ये बहुत ही सभ्य लोग है तो फिर मुझे समाज रंडी क्यों कहता है मैं भी तो सभ्य हूँ। मैं भी तो अपना काम ही कर रहीं हूँ मुझे भी इसके बदले पैसे मिल रहें है। ये मेरा प्रोफेशन है तो इससे समाज को परेशानी क्यों है ? मैं बिकती हूँ वो मेरी मर्जी नहीं है आपकी है - मैं मेरी मर्जी से नहीं आपकी मर्जी से बिकती हूँ। आप आते है मुझे खरीदने मैं नहीं आती आपके पास मुझे बेचने। आपको मेरा जिस्म चाहिए होता है आप मुझे पैसे देते है इसीलिए मैं रोज बिकती हूँ। मुझे बिकने का कोई शौक नहीं है लेकिन आपको मुझे बेचने का शौक है तभी तो आप हर रात को मेरे बाजार में लाइन लगाकर खड़े हो जाते है। आप ही बताइए अगर आप नहीं आएँगे खरीदने तो मैं खुद अपने आप को बेचने आपके पास आउंगी क्या ?? नहीं ना !! तो आप कैसे कहते है की मैं बिकती हूँ। और अगर मैं बिकती हूँ तो उसमे भी कोई खराबी नहीं है क्योंकि ये मेरा प्रोफेशन है और मुझे मेरे प्रोफेशन को करने से कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि मैं किसी को नहीं रोकती। मैं ग्राहक की हर फरमाइश पूरी करती हूँ फिर वो कुछ भी हो - मुझे मेरे ग्राहक जो कहते है मैं वो सब करती हूँ। हर बार मेरी चीख निकलती है लेकिन वो उन्हें सुनाई नहीं देती है क्योंकि उन्होंने तो मुझे पैसे दिए है और अब वो जैसे चाहे मेरा उपयोग कर सकते है। जब मैं बदनाम हूँ तो वो क्यों नहीं - हर रात मेरे पास हज़ारों कॉल आते है मेरे घर के बाहर लम्बी लाइन लग जाती है मेरे लिए नहीं मेरे जिस्म के लिए। लोग मेरे साथ रातें गुजारते है लेकिन फिर भी समाज उन्हें इज्जत देता है लेकिन अगर मैं उनके साथ रातें गुजार लूँ तो मैं बदनाम हो जाती हूँ। "समाज कहता है की" - अगर कोई धंधेवाली का बलात्कार भी करें तो ये उनकी मर्जी से हुआ होगा इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है और धंधेवालियों के लिए तो बलात्कार कोई बड़ी बात नहीं है क्यूंकि ये तो उनका काम है"। तो मैं आपको बता दूँ की मेरा काम मेरा जिस्म बेचकर पैसे लेना है अपना बलात्कार नहीं। मैं अपने लिए काम करती हूँ। समाज कहता है मैं गलत हूँ, मैं चरित्रहीन हूँ - मैं गलत नहीं हूँ। मैं सिर्फ अपना काम करती हूँ जो मुझे खरीदते है मैं उनके लिए बिक जाती हूँ और जब मुझे खरीदने वाले गलत नहीं है तो मैं क्यों गलत हूँ। मेरी वजह से समाज इज्जतदार है, और तुम्हारी बेटी, माँ, पत्नी पर कोई आंच नहीं आई - मैं ही हूँ जिसने तुम्हारे घर को बचा रखा है वरना इस समाज में हवस के इतने ज्यादा भूखे लोग है जो किसी को नहीं छोड़ते। अगर मैं ना होती तो दुनियाभर में हर दिन चार से पांच निर्भया हत्याकांड हो रहें होते। मैं हूँ जो उन हवस के भूखे लोगो की भूख शांत करती हूँ जिसकी वजह से वो आपकी बेटियों पर नजर नहीं डालते है। मैं हूँ तो ही बलात्कार थमे है अगर मैं ना होती तो आज पूरी दुनिया में ना जाने कितने बलात्कार होते। कोई घर इज्जतदार नहीं होता। आप ही सोचिए मैं हूँ तब ही इतने बलात्कार होते है अगर मैं ना होती तो कितने होते ??? मैं दुनिया में लड़कियों के साथ होने वाली अनहोनी को रोक ही तो रहीं हूँ फिर मैं गलत क्यों हूँ। मेरी वजह से ही आज ना जाने कितने घर इज्जतदार है। फिर मैं गलत क्यों हूँ ? मुझसे लोग पूछते है की मैं ये सब छोड़ क्यों नहीं देती ? - क्या आप अपना प्रोफेशन छोड़ सकते है ? मैं क्यों छोड़ दूँ ? आपको अगर मुझसे सहानुभूति है तो आप मुझे समझो ना। आप भी मुझे समाज का एक हिस्सा मानो जैसे मेरे पास आने वाले लोगो को मानते हो। अगर मेरे पास आने वाले लोग पवित्र है तो मैं भी पवित्र हूँ। मैं मेरा काम करती हूँ जैसे सब अपना काम करते है। बस फर्क ये है की मेरा प्रोफेशन जिस्म बेचना है। तो जैसे सबको इज्जत मिलती है वैसे ही मुझे भी क्यों नहीं ??? आपको क्या लगता है क्या एक वैश्या को समाज में उतनी इज्जत मिलनी चाहिए जितनी हम उसके पास जाने वाले लोगो को दे रहें है ??? नीचे कमेंट्स में अपनी राय दे...!!