नई दिल्ली : मशहूर इकोनॉमिस्ट और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन का कहना है कि वो भारत से नहीं बल्कि भारतीय शासिन पद्धति से नाराज है। उन्होने कहा कि मेरे मन में भारत के विकास के लिए कुछ अलग विचार है, जो बुनियादी मुद्दों से जुड़े है। सेन ने कहा कि आज की स्थिति यह है कि किसी को भी देश की प्रगति से लेना-देना नही है। केवल कुछ निहित फायदों के लिए देश हित को नजर अंदाज किया जा रहा है। प्राथमिक शिक्षा और स्वास्थय की अऩदेखी की जा रही है। उनका कहना है कि अक्सर मुझ पर आरोप लगाया जाता है कि मैं कांग्रेस या यूपीए का समर्थक हूं लेकिन समय समय पर मैं उन लोगों की भी आलोचना करता रहता हूं। मनरेगा योजना पर उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कहता कि यह एक बेकार योजना है। बल्कि इस योजना के द्वारा सामान्य लोगों की जिंदगी में बदलाव आए हैं। सेन ने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि सरकार ने गैस सब्सिडी को खत्म करने का सही फैसला लिया है। मोदी सरकार ने कई अहम फैसले लिए है, लेकिन जमीन पर अभी बहुत काम करने बाकी है। नालंदा विश्वविद्दालय के वीसी के पद से हटने के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होने कहा कि सरकार नहीं चाहती थी कि मैं उस पद पर रहूं। यदि मैं वहां रहता तो वो मेरे अङम के लिए अच्छा होता, लेकिन नालंदा के लिए नुकसानदायक होता।