'मुझे जुम्मे की नमाज़ पढ़ने से रोका गया..', जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर हुर्रियत चीफ का आरोप

श्रीनगर: हुर्रियत प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ने प्रशासन की दोहरी नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ सरकार जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य होने का दावा करती है, लेकिन दूसरी ओर मुझे धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा रही। उन्होंने बताया कि हाल ही में एक और घटना घटी, जब उन्हें जामा मस्जिद में जुमे की नमाज़ पढ़ने से रोका गया।

मीरवाइज ने कहा कि पिछले साल सितंबर में उन्हें नज़रबंदी से रिहा किया गया था, और वह भी तब जब उन्होंने अदालत की शरण ली थी। मगर, इसके बाद से यह एक नियमित प्रक्रिया बन गई है। कुछ हफ्तों के लिए उन्हें घूमने-फिरने की आंशिक आजादी दी जाती है, लेकिन फिर अचानक से उनके घर के बाहर पुलिस की गाड़ी खड़ी कर दी जाती है, जिससे वे effectively नजरबंद हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा बिना कोई स्पष्ट कारण बताए उन्हें केवल यही कहा जाता है कि वे बाहर नहीं जा सकते।

मीरवाइज ने इस तरह के लगातार प्रतिबंधों को व्यक्तिगत आजादी के हनन और धार्मिक अधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखा है। उन्होंने कहा कि एक धार्मिक नेता होने के नाते, उनका कर्तव्य है कि वे अपने अनुयायियों से मिलें और धार्मिक समारोहों में शामिल हों। लेकिन प्रशासन द्वारा बार-बार नज़रबंदी के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है, जो कि उनके मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन का यह रवैया न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर के लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता पर भी सवाल खड़े करता है।

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