अमृतसर: पंजाब में किसानों ने शुक्रवार को अंबाला-चंडीगढ़ हाईवे को जाम कर दिया है। उनका आरोप है कि धान की खराब लिफ्टिंग और खरीद ने उन्हें बर्बाद कर दिया है। किसानों का कहना है कि यह नाकाबंदी केवल चार घंटे के लिए है, लेकिन यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे स्थायी नाकाबंदी करने के लिए मजबूर होंगे। किसानों ने स्पष्ट किया है कि पूरे पंजाब के किसान इस समय मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने सरकारों से मांग की है कि धान खरीद और उठान में आने वाली समस्याओं का समाधान करना उनका कर्तव्य है। इससे पहले, पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता सरवन सिंह पंधेर ने 26 अक्टूबर को पूरे पंजाब में किसान आंदोलन का ऐलान किया था। पंधेर ने कहा कि वे पराली जलाने के मामले में दर्ज की गई FIR, धीमी धान खरीद और डीएपीए के मुद्दों को लेकर माझा-मालवा-दोआबा क्षेत्र में राजमार्गों को अवरुद्ध करेंगे। इसके अलावा, बटाला, फगवाड़ा, संगरूर और मोगा में भी राजमार्गों को पूरी तरह से अवरुद्ध किया जाएगा। यह आंदोलन 26 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे से शुरू होगा और अनिश्चित काल तक जारी रहेगा। पंधेर ने यह भी कहा कि उन्होंने केवल राजमार्गों को अवरुद्ध करने की घोषणा की है, क्योंकि वे अभी भी पंजाब के मुख्यमंत्री और AAP सरकार की ओर देख रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार की ओर से ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वे और अधिक आक्रामक तरीके से विरोध करेंगे। इस स्थिति में एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है: जब किसान दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, तब आम आदमी पार्टी (AAP) के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल किसानों का खुलकर समर्थन कर रहे थे। लेकिन अब जब वही किसान पंजाब में AAP सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, तो AAP सरकार या केजरीवाल उनकी समस्याओं को सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। यह AAP का कैसा दोहरा मापदंड है? यह सवाल न केवल किसानों के लिए, बल्कि समस्त पंजाब की जनता के लिए महत्वपूर्ण है। 'एक मिनिट की भी बिजली कटौती ना हो..', त्योहारी सीजन में सीएम योगी के निर्देश अपने ही कुत्ते को मां-बेटे ने पेड़ से लटकाकर ले ली जान, चौंकाने वाला है-मामला लेडी पुलिस ही महिला से करने लगी अश्लील हरकत, बंगाल से सनसनीखेज Video वायरल