अगर कुंडली में शनि विराजमान है तो जान लें उसका जीवन पर असर

शनिदेव कि क्रूर दृष्टि से सभी लोग बचना चाहते है। इस वजह से लोग उन्हे प्रसन्न करने के न जाने कितने ही जतन करते हैं। लेकिन शनिदेव को प्रसन्न करना कोई हंसी खेल नही है। उनकी दृष्टि जिस भी किसी मनुष्य पर पड़ जाए समझ लो कि उसकी किस्मत उसके साथ कभी थी ही नहीं। कुंडली में अगर शनिदेव कि छाया पड़ जाए तो उसका भी मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। तो चलिए आज हम आपसे इसी सिलसिले में चर्चा करते हैं कि कुंडली के जिस भाव में शनिदेव का प्रभाव होता है असल में उनका प्रभाव मानव जीवन पर किस तरह से पड़ता है?

जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि प्रथम भाव में है, वह व्यक्ति सुखी जीवन जीने वाला होता है। अगर इस भाव में शनि अशुभ फल देने वाला है तो व्यक्ति रोगी, गरीब और गलत काम करने वाला हो सकता है।

दूसरे भाव में शनि हो तो व्यक्ति लालची हो सकता है। ऐसे लोग विदेश से धन लाभ कमाने वाले होते हैं।

तृतीय भाव में शनि हो तो व्यक्ति संस्कारी, सुंदर शरीर वाला थोड़ा आलसी होता है।

जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि चतुर्थ भाव में है, वह जीवन में अधिकतर बीमार और दुखी रहता है।

कुंडली में पंचम भाव का शनि हो तो व्यक्ति दुखी रहता है और दिमाग से संबंधित कामों में परेशानियों का सामना करता है।

जिस व्यक्ति की कुंडली के छठे भाव में शनि है, वह सुंदर, साहसी और खाने का शौकीन होता है।

सप्तम भाव का शनि होने पर व्यक्ति बीमारियों से परेशान रहता है। गरीब का सामना करता है। ऐसे लोगों के वैवाहिक जीवन में अशांति रहती है।

अष्टम भाव में शनि होने पर व्यक्ति किसी भी काम में आसानी से सफल नहीं हो पाता है। जीवन में कई बार भयंकर परेशानियों का सामना करता है।

ऐसा व्यक्ति जिसकी कुंडली में नवम भाव में शनि है, धर्म-कर्म में विश्वास नहीं करता है। इनके जीवन में अधिकतर पैसों की कमी बनी रहती है।

दशम भाव का शनि होने पर व्यक्ति धनी, धार्मिक होता है। ऐसे लोगों को नौकरी में कोई ऊंचा पद मिलता है।

 

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