बैंगलोर: कर्नाटक सरकार भूमि अधिग्रहण और मुआवज़े के दावों में कथित अनियमितताओं को लेकर काफ़ी विवादों में घिरी हुई है। 10 जुलाई को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और नौ अन्य के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की गई, जिसमें उन पर मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) से मुआवज़ा लेने के लिए जाली दस्तावेज़ बनाने का आरोप लगाया गया। सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दर्ज की गई शिकायत में सिद्धारमैया, उनकी पत्नी पार्वती, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी देवराज और परिवार के अन्य सदस्यों को दोषी ठहराया गया है। मैसूर के विजयनगर पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई यह शिकायत राज्यपाल, राज्य के मुख्य सचिव और राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को भी भेजी गई। इसमें आरोप लगाया गया है कि MUDA ने करोड़ों रुपये के मूल्यवान भूखंड हासिल करने के लिए फ़र्जी दस्तावेज़ बनाए। भाजपा ने इस मामले की CBI जांच की मांग की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि MUDA ने अपने मानक 60:40 मुआवज़ा अनुपात से हटकर सिद्धारमैया के मामले में 50:50 अनुपात चुना और मैसूर के विजयनगर इलाके में उन्हें बेहतरीन भूखंड दिए। भाजपा का दावा है कि सिद्धारमैया के परिवार को 3 एकड़ और 16 गुंटा जमीन के बदले में लगभग 35 करोड़ रुपये के 14 प्लॉट मिले, जिसका मुआवजा मात्र 3 लाख रुपये होना चाहिए था। कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने सिद्धारमैया पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया और आरोप लगाया कि प्लॉट आवंटन घोटाला 4000 करोड़ रुपये का है। अशोक ने दौसा किया कि, 86,000 लोगों ने MUDA भूखंडों के लिए आवेदन किया था, लेकिन केवल कांग्रेस नेताओं को ही आवंटन मिला है। केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने भी CBI जांच की मांग की और दावा किया कि राज्य सरकार ने अनियमितताओं के बारे में कई चेतावनियों को नजरअंदाज किया है। अपने बचाव में सिद्धारमैया ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि उनके परिवार को जितनी जमीन मिलनी चाहिए थी, उससे कम मिली और मुख्यमंत्री ने इस गलती के लिए MUDA को जिम्मेदार ठहराया। CBI जांच की मांग को भी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने लगातार ख़ारिज किया है। उन्होंने एक विकास परियोजना के लिए अधिग्रहित 3.16 एकड़ जमीन के लिए 62 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की और तर्क दिया कि उनके परिवार को भी उतनी ही जमीन मिलनी चाहिए थी। सिद्धारमैया की 62 करोड़ रुपये की मांग ने MUDA अधिकारियों और किसानों के बीच चिंता पैदा कर दी है। बेंगलुरु ग्रामीण, चिक्काबल्लापुर और कोलार जिलों के किसान अब सिद्धारमैया के फार्मूले का हवाला देते हुए अपनी जमीन के लिए अधिक मुआवजे की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि अगर मुख्यमंत्री इतना अधिक मुआवजा मांग सकते हैं, तो उन्हें बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित अपनी जमीन के लिए भी इसी तरह की राशि मिलनी चाहिए। पेरिफेरल रिंग रोड परियोजना के ईश्वर रेड्डी सहित किसान नेताओं ने सरकार द्वारा आमतौर पर अपनाए जाने वाले 60:40 अनुपात और सिद्धारमैया के मामले में कथित तौर पर लागू 50:50 अनुपात के बीच विसंगति पर सवाल उठाया है। वे मांग करते हैं कि सरकार किसानों को सिद्धारमैया के परिवार को दिए गए मुआवजे के समान विकसित भूमि का 60% हिस्सा दे। यह विवाद कर्नाटक में भूमि अधिग्रहण और मुआवजे की प्रथाओं के आसपास के राजनीतिक और सामाजिक तनाव को रेखांकित करता है, जिसमें किसानों को भी नेताओं के बराबर हक़ के साथ अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग की गई है। NEET-UG पेपर लीक मामले में CBI ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की रिपोर्ट, जानिए क्या कहा ? 'मुझे बचा लो, मेरी पत्नी के 5 पति', शिकायत लेकर एसपी दफ्तर पहुंचा शख्स इंदौर में मशहूर कारोबारी की बेटी हुई लापता, ढूंढने पर इस हालत में मिली