बंगलुरु: कर्नाटक में चुनावी नतीजों की बाद सियासत बुरी तरह उलझ गई है, एक ओर जहाँ भाजपा बहुमत जुटाने की कोशिशों में लगी हुई है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस, जेडीएस से हाथ मिलाकर सत्ता में काबिज़ होने का मन बना चुकी है. लेकिन कर्नाटक में सरकार का फैसला राजभवन में होना है, जिसकी डोर राज्यपाल के हाथों में है. ऐसे में राज्यपाल अपना बहुमत सिद्ध करने का पहला मौका किसे देंगे, इस बात पर घमासान शुरू हो चुका है. कांग्रेस भी ये बात जानती है कि देश की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राज्यपाल पहला न्योता बीजेपी को दे सकते हैं. इसलिए पहले से ही कांग्रेस ने राजभवन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद की चेतावनी के बाद अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी सख्त रुख अख्त्यार कर लिया है. उन्होंने कड़े शब्दों में ऐलान किया है कि "हम अन्याय के खिलाफ क़ानूनी लड़ाई लड़ने को भी तैयार हैं, अगर राज्यपाल ने बीजेपी को बुलाया तो हम कोर्ट का रुख करेंगे." आपको बता दें कि भाजपा को बहुमत सिद्ध करने के लिए 9 विधायकों की और जरुरत है, इसी के चलते बीजेपी अन्य पार्टियों के विधायकों को लुभाने में जुटी हुई है. इस बारे में कांग्रेस के तीन विधायकों ने बीजेपी पर आरोप भी लगाए हैं कि बीजेपी ने पाला बदलने के लिए संपर्क साधा था. इन विधायकों के लिए कहा गया था कि ये जेडीएस के साथ गठबंधन से खुश नहीं हैं. हालांकि कांग्रेस ने सभी विधायकों के एकजुट होने का दावा करते हुए कहा कि वे उन सभी को जल्द ही रिजॉर्ट भेज रहे हैं. राज्यपाल को गुलाम नबी आज़ाद की खुली चेतावनी कर्नाटक में बीजेपी ही सरकार बनाएगी.. कर्नाटक नतीजे और कांग्रेस का भविष्य