संक्रामक रोग ऐसे रोग होते हैं जो किसी संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलते हैं। इन रोगों का कारण माइक्रोबियल जीवाणुओं, वायरस, फंगल इन्फेक्शन और पैरासाइटिक संक्रमण हो सकता है। लक्षण: संक्रामक रोगों के लक्षण विभिन्न हो सकते हैं, जैसे बुखार, ठंडी, गले में खराश, खांसी, पेट दर्द, बुखार, खोपड़ी दर्द, दस्त, श्वास लेने में कठिनाई आदि। लक्षणों की प्रकृति रोग के प्रकार और आक्रमण के स्थान पर निर्भर करेगी। प्रसार: संक्रामक रोग एक संक्रमित व्यक्ति के शरीर के शरीरिक संपर्क, सामग्री, हवा, पानी, खाद्य, या संक्रमित कीटों के माध्यम से फैल सकते हैं। आपसी संपर्क, शेयर्ड सामग्री का उपयोग, अस्वास्थ्यकर सामग्री के संपर्क, या संक्रमित जीवाणुओं के जीवाणुग्रन्थियों द्वारा भी ये रोग प्रसारित हो सकते हैं। बचाव: संक्रामक रोगों से बचाव के लिए संयमित हाथ धोना, स्वच्छता का ध्यान रखना, हाथों को चेहरे और आंखों से दूर रखना, बार-बार हाथों को धोना, संक्रमित व्यक्ति के सामग्री से दूरी बनाए रखना, टीकाकरण लेना, और संक्रमित व्यक्ति से सामग्री को अलग रखना जैसे सावधानियां बरतनी चाहिए। उपचार: संक्रामक रोगों के उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह लेना महत्वपूर्ण है। इसमें दवाएं, आयुर्वेदिक उपचार, विश्राम, प्रतिष्ठान, और सहायता के स्रोत शामिल हो सकते हैं। संक्रामक रोगों का खतरा किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन कुछ व्यक्तियों को इस खतरे का अधिक प्रावधान किया जाता है। निम्नलिखित लोगों को संक्रामक रोगों का ज्यादा खतरा होता है: बच्चे: बच्चे अधिक संक्रामक रोगों के प्रति संवेदनशील होते हैं, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम विकसित होना बाकी वयस्कों की तुलना में कमजोर होता है। बूढ़े व्यक्ति: वृद्धावस्था में, शरीर का प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है और इसलिए संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है। गर्भवती महिलाएं: गर्भवती महिलाओं का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिसके कारण वे संक्रामक रोगों के प्रति संवेदनशील हो सकती हैं और इन रोगों को अपने शिशु को भी प्रसारित कर सकती हैं। मेडिकल कंडीशंस: कुछ मेडिकल कंडीशंस, जैसे डायबिटीज, हृदय रोग, किडनी रोग, हाइपरटेंशन, और उम्रकोटी स्थितियाँ, इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकती हैं और संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ा सकती हैं। सामाजिक आवास: सामाजिक आवास में रहने वाले लोगों के बीच संपर्क और साझा जीवन की स्थिति के कारण संक्रामक रोगों का प्रसार आसान होता है। संक्रामक रोगों से बचाव के लिए निम्नलिखित उपायों को अपनाना महत्वपूर्ण है: हाथों की स्वच्छता: संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने के लिए नियमित रूप से हाथों को साबुन और पानी से धोना चाहिए। हाथों को कम से कम 20 सेकंड तक धोना चाहिए और सुखाने के लिए विज्ञापन के अनुसार टिश्यू का उपयोग करें। मुंह का व्यवहार: हाथों से अपने आंगन में न ही चेहरे को छूएं और न ही मुंह को हाथों से छूने या सपाटू अपने मुंह को छूने से बचें। विमान, बस और रेलगाड़ी में सावधानी: सार्वजनिक परिवहन के समय, संक्रामक रोगों के प्रसार से बचने के लिए अपने मुंह और नाक को एल्बो या टिश्यू से ढ़क लें, सावधानी बरतें और सामग्री से दूरी बनाए रखें। सामग्रीय आदान-प्रदान: विशेष रूप से बाहरी सामग्री के संपर्क से बचें, जैसे कि डोर की मुद्रा, लिफ्ट के बटन, सार्वजनिक स्थानों की सीटें आदि। हाइजीनिक आदतें: अपने सामान्य हाइजीनिक आदतों को बनाए रखें, जैसे नियमित नहाना, स्वच्छ और सुखी कपड़ों का उपयोग, और स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण की देखभाल करें। टीकाकरण: संक्रामक रोगों से बचाव के लिए टीकाकरण लेना महत्वपूर्ण है। नियमित टीकाकरण कार्यक्रमों में शामिल हों और अपने और अपने परिवार के लिए संक्रामक रोगों के खिलाफ सुरक्षा बढ़ाएं। स्वस्थ आहार: स्वस्थ और पौष्टिक आहार लें और अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखें। फल, सब्जियां, अनाज, प्रोटीन, और विटामिनों से भरपूर आहार खाएं। स्वस्थ जीवन शैली: नियमित व्यायाम करें, पर्याप्त आराम लें, तंबाकू और शराब का सेवन न करें, और स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं। संक्रामण से दूरी बनाए रखें: जब आप बीमार हों, तो अन्य लोगों से दूर रहें और संक्रमित व्यक्ति की साझा सामग्री से बचें। जगहों की साफ-सफाई: अपने आसपास के स्थानों की साफ-सफाई को मजबूत रखें, जैसे कि घर, कार, कार्यालय, विश्रामगृह, और सार्वजनिक स्थान। अजवाइन से आप किसी पर कलर सकते है वशीकरण का जादू झटपट अपने बच्चों के लिए बनाए सोया सब्जी अब आप भी अपने घर पर बना सकते है जामुन की आइस क्रीम