प्रेग्नेंसी के बाद ज्यादा खा रही हैं मीठा तो हो जाए सावधान, बच्चे के लिए हो सकता है खतरा!

गर्भावस्था निस्संदेह महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है, क्योंकि इसमें काफी हार्मोनल परिवर्तन शामिल हैं और खुद की और अपने बच्चे की देखभाल करने की आवश्यकता है। इस अवधि के दौरान उचित आहार बनाए रखना महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि भारत में, प्रसवोत्तर महिलाओं को अक्सर घी, बेसन के लड्डू, अजवाइन का हलवा और कई तरह के सूखे मेवे दिए जाते हैं। ये खाद्य पदार्थ वसा और शर्करा से भरपूर होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान और बाद में किए गए आहार विकल्प बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। विशेष रूप से, यदि माँ प्रसव के बाद अत्यधिक मिठाई खाती है, तो इसका बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

शिशुओं पर प्रभाव प्रसव के बाद, महिलाओं को आम तौर पर एक विशिष्ट आहार की सलाह दी जाती है जिसमें अधिक मात्रा में मिठाई शामिल होती है। ऐसा माना जाता है कि इससे ताकत मिलती है और जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। हालाँकि, अधिक मात्रा में मिठाई या प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाने से बच्चे के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है।

शोध के निष्कर्ष विशेषज्ञ बताते हैं कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं में असंतुलित आहार से मोटापा बढ़ सकता है और बच्चों में टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है। मधुमेह को "साइलेंट किलर" के रूप में जाना जाता है और यह स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा जोखिम पैदा करता है। इसलिए, प्रसव के बाद अत्यधिक मीठा खाने से बचना उचित है।

अनुशंसित आहार विशेषज्ञ नई माताओं के लिए संतुलित आहार की सलाह देते हैं, जिसमें विटामिन डी, एंटीऑक्सीडेंट, आयरन, फोलेट, आयोडीन, कैल्शियम और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व शामिल हों। ये पोषक तत्व कमज़ोरी को दूर करने में मदद करते हैं और बच्चे के विकास में योगदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, वे बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

संक्षेप में, गर्भावस्था के बाद संतुलित और पौष्टिक आहार बनाए रखना माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

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