अमेरिकी राष्ट्रपति पद की रिपब्लिकन उम्मीदवारी हासिल करने की दौड़ में सम्मिलित विवेक रामास्वामी ने कहा है कि उनका हिंदू होना उनके शीर्ष पद पर पहुँचने में बाधा नहीं है। उनसे उनकी आस्था को लेकर सवाल किया गया था। जवाब में स्वयं को हिंदू बताते हुए उन्होंने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए वे फर्जी तरीके से अपना धर्म नहीं बदलेंगे। आयोवा में सीएनएन टाउनहॉल कार्यक्रम के चलते उनसे एक महिला ने पूछा कि कई व्यक्तियों का मानना है कि वे अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं बन सकते, क्योंकि उनका धर्म वह नहीं है जो अमेरिका के संस्थापकों का था। बोलचाल की भाषा में कहे तो रामास्वामी से पूछा गया कि वे ईसाई नहीं है फिर अमेरिका के राष्ट्रपति कैसे बन सकते हैं। अमेरिका में धार्मिक स्वतंत्रता का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वे ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए सबसे योग्य केंडिडेट नहीं हैं। मगर उनका मानना है कि यह अमेरिका राष्ट्रपति का काम नहीं है। वे उन मूल्यों के लिए काम करेंगे जिसके आधार पर अमेरिका की स्थापना हुई। वे उन यहूदी-ईसाई मूल्यों के लिए खड़े रहेंगे जो उन्होंने हिंदू होने की वजह से सीखी है। इस के चलते अपनी परवरिश का जिक्र करते हुए विवेक रामास्वामी ने कहा कि हिंदू होने के बाद भी उन्होंने एक क्रिश्चियन स्कूल सेंट जेवियर्स से पढ़ाई की है। उनका मानना है कि हिंदू एवं ईसाई धर्म के मूल सिद्धांत करीब-करीब एक जैसे हैं। उनका धर्म उन्हें सिखाता है कि भगवान ने सबको किसी न किसी उद्देश्य से भेजा है तथा उसे हासिल करना हर व्यक्ति का नैतिक कर्तव्य है। सभी धार्मिक मूल्यों में समानता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “भले ही ईश्वर हम सबके लिए अलग-अलग है। मगर हम बराबर हैं। ईश्वर हम सबमें रहता है। मुझे लगता है ये यहूदी-ईसाई मूल्य भी यही सिखाते हैं। मसलन, अपने माता-पिता का सम्मान करें। किसी की हत्या न करें। झूठ न बोलें। किसी को धोखा न दें। चोरी न करें। व्यभिचारी न बनें। इस प्रकार सनातन धर्म के मूल्य भी ईसाई धर्म जैसे ही हैं।” आगे उन्होंने कहा, “मेरी परवरिश बहुत ही पारंपरिक तरीके से हुई। मेरे माता-पिता ने मुझे सिखाया, परिवार नींव है, विवाह पवित्र है, तलाक कोई विकल्प नहीं है .जब चीजें आपके अनुरूप नहीं होती हैं तो वो ऐसा नहीं है कि जैसे आप रेस्त्राँ में गए और मेनू में कुछ पसंद नहीं आया तथा बाहर निकल आए। शादी से पहले संयम एक रास्ता है, व्यभिचार गलत है। जीवन में अच्छी चीजों में त्याग सम्मिलित होता है। क्या ये विदेशी मूल्य हैं? मुझे लगता है कि ये मूल्य ईसाई धर्म के मूल्यों से बहुत मिलते-जुलते हैं।” बता दे कि ये पहली बार नहीं है जब विवेक रामास्वामी ने गर्व से अपना हिंदू होना स्वीकार किया है। रामास्वामी ने 18 नवंबर 2023 को द डेली सिग्नल प्लेटफॉर्म के आयोजित द फैमिली लीडर फोरम कार्यक्रम में भी सनातन धर्म को लेकर दिल को छूने वाली बात कही थी। उन्होंने कहा था, “मैं सनातन धर्म के बारे में बताने को लेकर आपका आभारी हूँ। मेरा हिंदू धर्म मुझे आजादी देता है। ये मेरा धर्म ही जिसने वास्तव में मुझे इस राष्ट्रपति उम्मीदवार अभियान में दावेदारी के लिए प्रेरित किया तथा सारे अभियान मैंने इसके बारे में बात की।” आगे रामास्वामी ने कहा था, “मैं आपको आपको अपने धर्म के बारे में बताता हूँ। मैं हिंदू हूँ। मैं भरोसा करता हूँ कि एक सच भगवान ही है। भगवान ने ही हम सबको दुनिया में एक उद्देश्य देकर भेजा है। मेरा धर्म मुझे सिखाता है कि हम सबका एक नैतिक कर्तव्य है कि हम इस उद्देश्य को समझे। इसके लिए भगवान हमारे साथ हमेशा रहता है वो अलग-अलग तरीके से हमारा साथ देता है।” आखिरी टी20 मुकाबले में टीम इंडिया के जीतने के बाद भी हुई ड्रॉ हुई सीरीज MP में ढेर हुआ 14 लाख का इनामी नक्सली, बड़ी वारदात को देने वाला था अंजाम भारत के लोह पुरुष की पुण्यतिथि आज... श्रद्धांजलि देते हुए पीएम मोदी ने कही ये बात