कोरोना के प्रकोप के बीच भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु में वैज्ञानिकों की एक टीम श्‍वसन, खांसी और श्‍वसन तंत्र से उत्पन्न होने वाली ध्वनि तरंगों के आधार पर कोरोना की पहचान के लिए एक उपकरण विकसित करने पर काम कर रही है. इस डिवाइस को मंजूरी मिलने के बाद इससे कोरोना मरीजों की जांच की जा सकेगी. उत्तराखंड : हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से तैयारियों पर किया सवाल मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस उपकरण की मदद से जांच करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड-19 के संक्रमण का खतरा कम होगा. यही नहीं इससे होने वाली जांच के नतीजे भी जल्‍द सामने आ सकते हैं. कोरोना से लड़ने को हरिद्वार में चल रही है तैयारी अगर आपको नही पता तो बता दे कि वैज्ञानिक ध्वनि विज्ञान की मदद से इस बीमारी के संक्रमण का बायोमार्कर पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. वैज्ञानिक जांच के लिए इस मार्कर की मात्रा निर्धारित करना है. वैज्ञानिकों का कहना है कि कोविड-19 के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में इसकी की सरल, किफायती और जेजी से जांच किया जाना बेहद जरूरी हो गया है. इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में श्‍वसन संबंधी समस्याएं शामिल हैं. इस परियोजना का उद्देश्य श्वसन तरंगों के जरिए बीमारी के बायोमार्कर का पता लगाना है. आखिर क्यों भारत ने चीन भेजा मालवाहक विमान ? सिलिंडर उपलब्ध करा रहे कर्मचारी की जान गई तो परिवार को देंगे इतने रूपये देहरादून की स्टार्टअप कंपनी फुल फेस प्रोटेक्ट किट की तैयार