संसदीय समिति ने IIT जैसे तकनीकी और गैर तकनीकी उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा के जरिए को लेकर सिफारिश की है। समिति ने सुझाव दिया है कि हिंदी भाषी राज्यों में IIT की पढ़ाई हिंदी में और देश के अन्य राज्यों में स्थानीय भाषाओं में होना जरुरी हैd। साथ ही यह भी सिफारिश की है कि हिंदी संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाओं में से एक होना सबसे जरुरी है। बीते माह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पेश की गई 11वीं रिपोर्ट में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली राजभाषा संसदीय समिति ने सिफारिश की थी कि सभी राज्यों में स्थानीय भाषा को अंग्रेजी पर रैंकिंग देना जरुरी है। समिति के मुताबिक, ए श्रेणी के राज्यों में हिंदी को सम्मानजनक स्थान दिया जाना चाहिए और अंग्रेजी के उपयोग को वैकल्पिक बनाना चाहिए। श्रेणी A में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और अंडमान-निकोबार द्वीप राज्य व केंद्रशासित प्रदेश के नाम जोड़े गए है। वहीं, श्रेणी B में गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, चंडीगढ़, दमन और दीयू और दादरा और नागर हवेली राज्य व केंद्रशासित प्रदेश शामिल हैं, जबकि सी श्रेणी में शेष भारत के राज्य व केंद्रशासित प्रदेश हैं। DU, बीएचयू में सिर्फ 20-30 फीसदी हो रहा हिंदी का प्रयोग: समिति के उपाध्यक्ष बीजद नेता भर्तृहरि महताब ने बताया कि समिति ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक सिफारिशें तैयार की हैं। महताब ने बोला है कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों में हिंदी का केवल 20-30 फीसद इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि इसका उपयोग 100 प्रतिशत किया जाना चाहिए। उन्होंने बोला है, अंग्रेजी एक विदेशी भाषा है और हमें इस औपनिवेशिक प्रथा को समाप्त कर देना चाहिए। दारू के ओवर डोज ने ले ली थी इस अभिनेता की जान प्रतियोगी परीक्षा के लिए आज ही पढ़ें ये प्रश्न जब ऑफिस में घटने लग जाए ऐसी घटनाएं तो करें ये काम