नई दिल्ली. आईआईटी की फीस करीब तीन गुना बढाने की सिफारिश की गई है.अगर आईआईटी काउंसिल की अध्यक्ष-मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इसे मंजूरी दी तो फीस 90 हजार रुपए से बढकर तीन लाख रुपए सालाना हो जाएगी.आईआईटी काउंसिल की स्टैंडिंग कमेटी ने एक और अहम सिफारिश नए एन्ट्रेन्स एग्जाम को लेकर की है. इसमें नेशनल अथॉरिटी ऑफ टेस्ट की ओर से 2017 के बाद एप्टीट्यूड टेस्ट वाला एन्ट्रेन्स एग्जाम कराने का सुझाव दिया है. इस पर भी आखिरी फैसला ईरानी को लेना है.इसके अलावा स्थायी समिति ने एमओओसीएस बेस्ड जेईई ट्रेनिंग कोर्स चलाने की भी अनुमति दे दी है. आईआईटी में इससे पहले 2013 में फीस बढाई गई थी। तब सालाना फीस 50,000 रुपये से बढाकर 90,000 रुपये की गई थी.आईआईटी में करीब 80,000 स्टूडेंट्स हैं और यहां सैलरी और मेंटेनेंस पर सालाना 2500 करोड रुपये खर्च होते हैं. स्टूडेंट्स पर फीस बढोतरी के असर को कॉम्प्रिहेन्शिव स्टूडेंट लोन सिस्टम के जरिए कम किया जाएगा। प्रस्ताव के मुताबिक स्टूडेंट्स को आईआईटी में ऐडमिशन मिलते ही उनके लिए कॉम्प्रिहेन्शिव स्टूडेंट लोन सिस्टम प्रभावी हो जाएगा - आईआईटी एससीआईसी ने आईआईटी डायरेक्टर्स की कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर फीस बढाने का सुझाव दिया है.कमिटी का गठन अक्टूबर 2015 में किया गया था.कमिटी ने आईआईटी की वित्तीय स्वायत्तता के लिए एक रोडमैप तैयार किया है.कमिटी ने सुझाव दिया है कि आईआईटी की फीस उतनी बढाई जाए जिससे सैलरी कॉस्ट और मेंटेनेंस खर्च निकल जाए. कमेटी ने 2000 करोड रुपये की नॉन बैंकिंग फाइनैंशल कंपनी (एनबीएफसी) बनाने का भी प्रस्ताव रखा है.यह एनबीएफसी सही प्रॉजेक्ट्स, रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर और कैंपस में स्पेस बढाने के लिए इंटरेस्ट फ्री लोन ऑफर करेगी. एनबीएफसी को पहले ही हायर एजुकेशन फाइनैंसिंग एजेंसी (एचईएफए) के तौर पर बजटीय मंजूरी मिल चुकी है.